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वाराणसी

Janmashtami : कान्हा के भोग को नजर और छाया से बचाने की अनूठी परंपरा

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गोपाल मंदिर, इस्काॅन और संकीर्तन सोसाइटी मिलकर बनाएंगे 30 क्विंटल से अधिक प्रसाद

वाराणसी। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के शृंगार और भोग सामग्री की तैयारी रक्षाबंधन से ही शुरू हो जाती है। परंपरा के अनुसार प्रसाद बंद कमरे में तैयार किया जाता है, ताकि उस पर किसी व्यक्ति की दृष्टि या छाया न पड़े। केवल ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला ही भोग सामग्री को छू सकता है। प्रभु के भोग शृंगार के बाद ही भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता है। गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर 56 भोग का आयोजन होता है।

गोपाल मंदिर के प्रमुख वैष्णव सेवी अशोक बल्लभदास के अनुसार, भोग सामग्री को किसी भी दृष्टि और छाया से बचाना आवश्यक है, ताकि किसी के मन में भोग खाने का भाव न उत्पन्न हो। इस्काॅन मंदिर के मनीष प्रभुदास ने बताया कि जन्माष्टमी के चार दिन पहले से ही प्रसाद बनने लगता है, जिसे वृंदावन से प्रशिक्षित कारीगर तैयार करते हैं। हरे कृष्ण हरे राम संकीर्तन सोसाइटी के अध्यक्ष कृष्ण प्रसाद दास ने बताया कि एक सप्ताह पहले से ही पेड़े और लड्डू बनने का कार्य आरंभ हो जाता है।

इस वर्ष जन्माष्टमी पर शहर में 60 क्विंटल से अधिक लड्डू, पेड़ा और हलवा बनेगा, जिसमें से गोपाल मंदिर, इस्काॅन मंदिर और संकीर्तन सोसाइटी की ओर से 30 क्विंटल से ज्यादा तैयार किया जाएगा। गोपाल मंदिर में एक हजार से अधिक भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाएगा।

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भोग बनाने के नियम
गोपाल मंदिर की तीसरी मंजिल के बंद कमरे में प्रसाद तैयार होता है। कारीगर स्नान और भोजन के बाद ही काम शुरू करते हैं और इस दौरान किसी सगे-संबंधी से नहीं मिल सकते। उस कमरे में केवल कारीगरों को प्रवेश की अनुमति होती है। एक बार बाहर जाने पर, दोबारा प्रवेश से पहले स्नान अनिवार्य है। इस्काॅन मंदिर में प्रसाद को छूने के लिए नशा, जुआ, शेयर बाजार, मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज से पूर्णतः दूर रहना आवश्यक है।

कारीगरों का आगमन
काशी में प्रसाद बनाने के लिए वृंदावन के अलावा प्रयागराज, लखनऊ, असम, ओडिशा और बंगलूरू से कारीगर बुलाए जाते हैं। गोपाल मंदिर में कुल 20 औदीच्य ब्राह्मण कारीगर भोग निर्माण में संलग्न रहते हैं, जबकि इस्काॅन मंदिर में अन्य राज्यों से आए कारीगर काम करते हैं।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष 16 अगस्त को धूमधाम से मनाई जाएगी, जिसके लिए मंदिरों में भोग और शृंगार की विशेष तैयारियां जारी हैं।

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