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चन्दौली

जामेश्वर महादेव के जोड़ा शिवलिंग के दर्शन से पूरी होती हैं मुरादें

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चंदौली। जनपद के सकलडीहा क्षेत्र के जामडीह गांव में पौने दो सौ वर्ष से अधिक प्राचीन डबल शिवलिंग का जामेश्वर महादेव का मंदिर है। मान्यता है कि यहां पर मंगल कामना और मन्नत लेकर आने वाले हर व्यक्ति की मुरादें पूरी होती हैं। सावन माह, महाशिवरात्रि और दीपावली के दूसरे दिन दर्शन-पूजन के लिये महिलाओं की काफी भीड़ जुटती है। माना जाता है कि मंदिर पर महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करने वालों की अकाल मृत्यु भी टल जाती है।

पौने दो सौ वर्ष पूर्व गाजीपुर जनपद के सरायपोस्ता स्टीमर घाट निवासी सुखलाल अग्रहरी चंदौली में अपने रिश्तेदार के घर से लौट रहे थे। ग्रामीणों के अनुसार जामडीह गांव में पीपल के पेड़ के नीचे एक स्वप्न में भगवान शिव के दर्शन सुखलाल अग्रहरी को प्राप्त हुए थे। सुखलाल अग्रहरी ने उसी पीपल के नीचे मंदिर स्थापना के लिये खोदाई शुरू कराई। वहां पर स्वयं अवतरित जोड़ा शिवलिंग दिखाई दिया।

सुखलाल अग्रहरी ने भगवान भोलेनाथ पर आस्था रखते हुए मंदिर की स्थापना की। मंदिर स्थापना के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उनका पुत्र शिव प्रसाद अग्रहरी, भोला अग्रहरी, काशी प्रसाद अग्रहरी और लच्छु अग्रहरी परिजनों के साथ आज भी दर्शन-पूजन के लिये आते हैं। ग्राम प्रधान बिहारी यादव ने बताया कि यहां पर दूर-दराज और कई जिलों की महिलाएं दर्शन-पूजन के लिये आती हैं। आस्था के साथ पूजा करने वाले कभी निराश नहीं होते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर से पुराना है स्वयं भू कालेश्वर मंदिर का इतिहास

सकलडीहा। चतुर्भुजपुर स्थित स्वयं भू कालेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास करीब साढ़े चार सौ साल पुराना है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से भी पूर्व का है। मान्यता है कि यहां पर दर्शन-पूजन करने वालों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। सावन माह में महामृत्युंजय जाप और अखंड पूजन करने वालों की अकाल मृत्यु भी टल जाती है।

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सावन माह के दूसरे सोमवार को दर्शन-पूजन के लिये शाम से ही भक्तों की भीड़ जुटने लगती है। मंदिर के अंदर और बाहर दर्शनार्थियों के लिये बैरियर, रबर पैड और शीतल जल की व्यवस्था की गई है। मंदिर के पीआरओ पीयूष तिवारी ने बताया कि मंदिर का इतिहास काशी विश्वनाथ मंदिर से भी पुराना है। मंदिर पर दर्शन-पूजन के लिये समस्त व्यवस्थाएं की गई हैं।

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