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वाराणसी

इन्सानियत के लिए मिसाल है शहादते -ए-हुसैन : सैयद नबील हैदर

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वाराणसी। इस्लाम की तारीख में मुहर्रम सबसे महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया में मुहर्रम बड़े ही अकीदत, एहतेराम के साथ मनाया जाता है। उक्त बातें आज मुहर्रम के चांद दिखाई देने के बाद मुहर्रम की आमद पर सुप्रसिद्ध मर्सियाखान सैयद नबील हैदर ने कहा कि मुहर्रम का चांद दिखाई देते ही शिया समुदाय की महिलाएं अपनी चूड़ियां तोड़ देती है, जबकि महिलाएं साज-सज्जा, श्रृंगार से भी 2 महीना 8 दिन परहेज़ करती है।यही नहीं पूरे दो माह 8 दिन शिया समुदाय के लोग किसी भी खुशी में शरीक नहीं होते । चांद दिखाई देने से आज ही से इमाम बारगाह,अजाखानो, घरों में मजलिसों का सिलसिला शुरू हो गया।

नबील ने कहा कि इमाम हुसैन ने जो इन्सानियत की राह दिखाई है ,वही हक पर चलने की नेक राह है। इमाम हुसैन ने जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने का पैगाम दिया, हुसैन ने जालिम खलीफा का साथ नहीं दिया । इसीलिए आपको अपने 72 साथियों के साथ इतनी बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी, लेकिन यही कुर्बानी दीन को बचा ले गई, और उसी कुर्बानी की वजह से इंसानियत दुनिया में अभी भी जिंदा है। इमाम हुसैन का बलिदान सत्य, न्याय, धार्मिकता महान प्रेरणा है। उनका बलिदान अन्याय के खिलाफ लड़ने और सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए  एक शक्तिशाली संदेश है।

नबील ने कहा कि हुसैन का बलिदान हमें सिखाता है कि हमेशा जुल्म, अन्याय विरोध करना चाहिए, में और सच्चाई न्याय के लिए खड़े होना चाहिए, इसके लिए कितना भी बलिदान क्यों ना देना पड़े। करबला आज भी दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है, और इंसानियत के लिए मिसाल है शहादते -ए-हुसैन ।

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