मिर्ज़ापुर
अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य विभाग की निगरानी टीम चौकस

मिर्जापुर। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से मिर्जापुर जिले की विभिन्न चिकित्सा इकाइयों का गहन निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण की जानकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मुकेश ने दी। निरीक्षण के दौरान मंडलीय जिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, जिला महिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एल. एस. सिंह, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवधेश कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
100 बेडेड एमसीएच विंग में अपराह्न 12:25 बजे निरीक्षण किया गया। चिकित्सालय भवन में अग्नि सुरक्षा के तहत भूतल पर चार फायर एक्सटिंग्विशर क्रियाशील अवस्था में पाए गए, जबकि हाइड्रेंट और स्प्रिंकलर सिस्टम भी स्थापित और सक्रिय थे। फायर अलार्म सिस्टम भले ही स्थापित था, लेकिन तकनीकी कारणों से कार्यशील नहीं था। अग्नि एवं विद्युत सुरक्षा संबंधी एनओसी हेतु संबंधित विभागों में आवेदन किया जा चुका है।
चिकित्सालय के प्रत्येक तल पर स्मोक डिटेक्टर लगाए गए हैं और कुल 16 फायर एक्सटिंग्विशर क्रियाशील स्थिति में पाए गए। हालांकि निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि अस्पताल परिसर में किसी भी स्थान पर फायर एग्जिट साइनेज मौजूद नहीं था। इस पर अधिकारियों ने तत्काल फायर एग्जिट प्लान तैयार कर साइनेज बोर्ड लगवाने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान यह भी निर्देशित किया गया कि फायर सेफ्टी और विद्युत सुरक्षा ऑडिट के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए, जो समस्त आवश्यक सावधानियों की निगरानी करेगा और किसी भी अग्निकांड की संभावना को न्यूनतम करने का कार्य करेगा। नोडल अधिकारी संबंधित तकनीकी अधिकारियों के सहयोग से विद्युत सुरक्षा की समीक्षा करेगा, प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगा, मॉक ड्रिल की व्यवस्था कराएगा और सभी रिकॉर्ड व्यवस्थित रूप से संकलित करेगा।
चिकित्सालय में 62.5 केवी और 125 केवी क्षमता के दो जनरेटर लगाए गए हैं, जो विद्युत आपूर्ति में सहायक हैं। वहीं ट्रामा सेंटर मीरजापुर, जो मंडलीय जिला चिकित्सालय परिसर में संचालित है, वहां एसएनसीयू वार्ड में छह स्थानों पर फायर एक्सटिंग्विशर लगे हुए हैं। हालांकि ट्रामा सेंटर में फायर अलार्म सिस्टम अब तक स्थापित नहीं किया गया है, जिसे लेकर आवश्यक कदम उठाए जाने की आवश्यकता बताई गई है।
स्वास्थ्य विभाग की यह पहल चिकित्सा इकाइयों में सुरक्षा मानकों की समीक्षा और सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जिससे भविष्य में किसी भी आपदा से प्रभावी रूप से निपटा जा सकेगा।