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वाराणसी

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने प्रोफेसर जगदीश सिंह को एक्सीलेंस अवॉर्ड से किया सम्मानित

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वाराणसी। भारतीय आर्थिक संघ के 108वें अंतरराष्ट्रीय वार्षिक अधिवेशन का आयोजन आईआईएलएम विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में हुआ। इस अवसर पर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान तथा भारतीय आर्थिक संघ में क्षेत्रीय संयुक्त सचिव के रूप में सक्रिय गतिविधियों एवं शोध पत्रों में योगदान हेतु प्रोफेसर जगदीश सिंह को भारतीय आर्थिक संघ द्वारा एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला द्वारा प्रदान किया गया।

वर्तमान में प्रोफेसर जगदीश सिंह वाराणसी के हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। प्रोफेसर जगदीश सिंह भारतीय आर्थिक संघ से वर्ष 2007 से जुड़े हैं और इस क्षेत्र में उनका काफी लंबा अनुभव है। इस संगठन की शैक्षणिक गतिविधियों, शोध कार्यों तथा आर्थिक नीतियों से जुड़े विमर्श को आगे बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

अध्यापन कार्य के साथ-साथ शोध और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न एकेडमिक मंचों पर उनकी निरंतर सक्रियता उनके समर्पण और परिश्रम को दर्शाती है। यह सम्मान उनके सतत प्रयासों, अकादमिक उत्कृष्टता एवं कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुझावों की औपचारिक मान्यता है।

अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री माननीय सूर्य प्रताप शाही तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व राज्यपाल श्री कलराज मिश्र की गरिमामयी उपस्थिति रही। दोनों वरिष्ठ नेताओं ने भारतीय आर्थिक संघ की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन देश की आर्थिक नीतियों, शोध और बौद्धिक विमर्श को बढ़ावा देते हैं।

अधिवेशन की सफलता में भारतीय आर्थिक संघ के पदाधिकारियों की अहम भूमिका रही। संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर आद्या प्रसाद पांडेय, महासचिव प्रोफेसर इंदु वार्ष्णेय, मुख्य संयोजक प्रोफेसर तोमर तथा संघ के कोषाध्यक्ष प्रोफेसर डी.के. अस्थाना की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आयोजक विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर तरुण गौतम ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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सम्मान समारोह में देश भर से उपस्थित प्रख्यात अर्थशास्त्रियों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने प्रोफेसर जगदीश सिंह के उत्कृष्ट योगदान और उपलब्धियों की सराहना की। यह सम्मान न केवल उनके कठिन परिश्रम का परिणाम है, बल्कि भारतीय आर्थिक संघ के उद्देश्यों, अकादमिक गुणवत्ता तथा शोध की प्रासंगिकता और विकसित भारत 2047 की प्राप्ति हेतु उनके महत्वपूर्ण सुझावों का भी परिणाम है।

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