वाराणसी
स्वाधीन चेतना से होता है विवेक का निर्माण
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
वाराणसी। लालच और दमन अभिव्यक्ति के लिये सबसे बड़े खतरें हैं। साहित्य की महानता की ज़मीन इससे तय होती है कि उसके विवेक का निर्माण स्वाधीन चेतना से हुआ है या नहीं। उक्त वक्तव्य प्रो• सुरेन्द्र प्रताप ने प्रकट किया। वे हिन्दी विभाग के शोध संवाद समूह की भित्ति पत्रिका ( वाल मैग्जीन ) थाती का लोकार्पण कर रहे थे । हिन्दी विभाग के गलियारे में पत्रिका के दूसरे अंक का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो• निरंजन सहाय ने कहा प्रेमचन्द और गांधी की विरासत का सबसे अहम पहलू है अभिव्यक्ति की आज़ादी'। पत्रिका का यह अंक अभिव्यक्ति की स्वाधीनता और साहित्य बोध पर केंद्रित है। हिन्दी विभाग के इक्कीस शोधार्थियों का समूह पत्रिका का समस्त दायित्व संभालता है । इस तरह नई शिक्षा नीति के बेस्ट प्रैक्टिसेज के अंतर्गत यह सकल प्रयास नये आयामों का स्पर्श करता है । नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं में संवाद की वकालत करती है और अगला अंक हिन्दी के हजारी प्रसाद द्विवेदी, कन्नड़ गिरीश कर्नाड व मराठी के विजय तेंदुलकर के अवदानों पर केंद्रित होगा । समारोह के एक अन्य वक्ता मोहम्मद जाहिद, एसोसिएट प्रोफेसर उर्दू , हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि विभाग का यह प्रयास, साहित्यबोध , राष्ट्रबोध और लोकतांत्रिक चेतना के लिए उल्लेखनीय है। जे•डी• बिनानी कॉलेज मिर्ज़ापुर की कवयित्री और प्रो• वंदना मिश्रा ने रचनाओं के साक्ष्य पर इसे उल्लेखनीय प्रयास बताया।इस्पातिका पत्रिका के संपादक और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ• अविनाश कुमार सिंह ने साहित्य के सौंदर्य मानकों की चर्चा करते हुए "थाती" को अन्यतम उपलब्धि बताया। पत्रिका संपादक प्रज्ञा पांडेय ने बाणभट्ट, प्रेमचंद और मुक्तिबोध के हवाले से साहित्य के नागरिकताबोध को प्रकट किया । संचालन आरती तिवारी ने किया , धन्यवाद ज्ञापन अंजना भारतीय ने किया । कार्यक्रम में प्रो• राजमुनि , प्रो• रामाश्रय , प्रो• अनुकूल चन्द राय , डॉ विजय रंजन , मुकेश झा समेत विभिन्न शोधार्थी उपस्थित रहे । शोधार्थियों में मनीष कुमार यादव , उज्ज्वल सिंह , धर्मेन्द्र कुमार , वरूणा देवी , शिवम चौबे , प्रवीण कुमार प्रजापति , रवि कुमार यादव , हनुमान राम , आकाश कुमार सिंह , राहुल , गुन्जन , आँचल आदि ने अपने विचार रखें।
Continue Reading
