वाराणसी
सिडबी-स्पिक मैके के तत्वाधान में बनारस घराने के गायकों ने महफिल में बहाई सुरों की गंगा

वाराणसी।भारत की प्राचीन सांस्कृतिक नगरी काशी अपने बनारस घराने की गायकी के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ी है। युवाओं कों अपनी भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक करने और शास्त्रीय संगीत से जोड़ने की पहल सिडबी-स्पिक मैके द्वारा वर्ष भर विभिन्न स्कूल कॉलेजों में बनारस घराने के कलाकारों द्वारा छात्र छात्राओं कों कार्यशाला के माध्यम से शास्त्रीय संगीत से जोड़ने का वीणा उठाया है। शनिवार को सनबीम वरुणा एवं सनसिटी में आयोजन हुआ जिसमें बनारस घराने के युवा गायकों पं. रजनीश मिश्र-पं. रितेश मिश्र के शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति हुई। दोनों ने मिलकर महफिल कों अपनी मनमोहक गायकी से मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होंने राग ललित में दो रचनाएँ जोगिया मेरे घर घर आये.. घर घर अलख जगाये और द्रुत लय एक ताल में जाने ना दूंगी कान्हा बंसिया बजाये बिना अपने अपने अंदाज में गाकर श्रोताओं पर बनारस घराने की गायकी की छापo छोड़ गए।जय माँ सरस्वती संगीत की तू देवी सातों सुर को हम लेकर करें आराधना तेरी पर
शिक्षक छात्र छात्राओं से भरा हारमोनी ऑडिटोरियम तालियों से गूँजता रहा। दोनों युवा कलाकारों द्वारा पांच दिनों में प्रशिक्षित छात्र छात्राओं को भी मंच प्रदर्शन करने का मौका मिला जिसमें क्लास नौ से बारह के बच्चों ने जब राग भैरव में मोहन जागो भोर भइलवा काहे को नैना अलसिलवा गाया तो सभी आश्चर्य चकित रह गए। सा..सुंदर रे सुन्दर गा भी सुंदर है, हर एक स्वर कितना सुंदर संगीत अमर है गाकर सभी ने मझे हुए कलाकारों की तरह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। तबले पर राजेश मिश्र एवं हारमोनियम पर सुमित मिश्र ने संगत किया।
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ स्पिक मैके के चेयरपर्सन यूसी सेठ, डॉ शुभा सक्सेना प्रिंसिपल अनुपमा मिश्रा ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कलाकारों का सम्मान अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन नीलोफर नकवी एवं सुहाना ने किया। इस मौके पर डॉ विभा सिंह, रीना विक्रम सिंह, सरिता राव, पवन सिंह, चन्दन सिंह, ज्ञानेंद्र मिश्र सहित अनेक शिक्षक मौजूद रहें।