वाराणसी
सावन पूर्णिमा पर नेमी और बटुक ब्राह्मणों ने किया हेमाद्रि संकल्प

अहिल्याबाई घाट पर वेद मंत्रों के साथ सम्पन्न हुआ जनेऊ संस्कार
वाराणसी। सावन की पूर्णिमा के अवसर पर शनिवार को काशी में श्रावणी उपाकर्म 2025 का भव्य आयोजन हुआ। गंगा का जलस्तर बढ़ा होने के बावजूद नेमी और बटुक ब्राह्मणों का उत्साह कम नहीं हुआ। अहिल्याबाई घाट सहित काशी के विभिन्न घाटों पर हेमाद्रि संकल्प, दशविध स्नान, ऋषि तर्पण, देव और पितृ तर्पण के साथ भगवान सूर्य से ओज और तेज की कामना की गई।
अहिल्याबाई घाट पर शास्त्रार्थ महाविद्यालय और विप्र समाज के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश दत्त शास्त्री के निर्देशन में अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। पं. विकास दीक्षित के आचार्यत्व में शुक्लयजुर्वेदीय माध्यानंदिनी शाखा के ब्राह्मणों ने एक साथ वेद मंत्रों का उच्चारण कर भगवान सूर्य से ऊर्जा मांगी।
श्रावणी पर्व के अंतर्गत हेमाद्रि संकल्प के जरिए पाप-निवारण और सदाचरण की प्रतिज्ञा ली गई। इसके बाद पंचगव्य प्राशन, शुद्धि के लिए गाय के गोबर, मिट्टी, भस्म, दूर्वा, अपामार्ग और कुशा से मार्जन, तथा जनेऊ परिवर्तन का संस्कार किया गया। गंगा स्नान और तर्पण के उपरांत ब्राह्मणों ने गणपति व ऋषि पूजन के साथ नया यज्ञोपवीत धारण किया।
श्रावणी उपाकर्म उत्तर भारत के ब्राह्मण समुदाय का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें आत्मशुद्धि, गुरु व ऋषि के प्रति कृतज्ञता और आध्यात्मिक नवजीवन का संकल्प नवीनीकरण होता है।