वाराणसी
समुचित पोषण और बेहतर शिक्षा से ही होता है बच्चों बच्चे का विकास – डीपीओ डीके सिंह
पोषण भी – पढ़ाई भी थीम के साथ नौ मार्च से शुरू हुआ पोषण पखवाड़ा, 23 मार्च तक चलेगा
वाराणसी। पोषण हर व्यक्ति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। खासतौर से गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए जिन्हें पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती हैं, यदि गर्भवती महिलों को गर्भावस्था के दौरान सही पोषण नहीं मिलता है तो उनके होने वाले बच्चे भी कम वजन के पैदा होते है और कुपोषण का शिकार हो जाते है। इसलिए गर्भावस्था की शुरुआत से लेकर बच्चे के जन्म के दो साल तक यानि गर्भकाल के 270 दिन और और बच्चे के जन्म के दो साल यानि 730 दिन तक कुल 1000 दिनों तक माँ और बच्चे को सही पोषण मिले तो बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता में भी बृद्धि होती है, जो आगे जाकर बच्चे को बीमारियों से बचाता है तथा बच्चा स्वस्थ जीवन व्यतित करता हैं।
यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिनेश कुमार सिंह का। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित पोषण और पढ़ाई के प्रति जागरूकता के लिए 9 मार्च से पोषण पखवाड़ा की शुरुआत हो गई है। इस बार पोषण पखवाड़ा की थीम है- पोषण भी, पढ़ाई भी। 9 मार्च से 23 मार्च तक इन 14 दिनों के दौरान देशभर में स्वस्थ पोषण संबंधी और स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं व बच्चों में जागरूकता लाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहें है।
उन्होंने बताया कि, दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जन समुदाय तक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता संबंधी जानकारी का प्रचार कर व्यवहार परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है। पोषण पखवाड़ा के तहत इस साल मुख्यतः तीन थीम पर आधारित गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इनमें “पोषण भी पढ़ाई भी” थीम के तहत आंगनबाड़ी केन्द्र में शिक्षा चौपाल का आयोजन और विशेष रूप से ईसीसीई लर्निंग कॉर्नर को बढ़ावा दिया जाएगा। दूसरी थीम के तहत जनजाति, पारंपरिक, क्षेत्रीय और स्थानीय आहार प्रथाओं पर पोषण के प्रति संवेदनशीलता पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। तीसरी थीम गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और शिशु एवं छोटे बच्चे के आहार संबंधी व्यवहार पर केन्द्रित है।
छह माह के बाद अतिरिक्त भोजन जरूरी -जिला कार्यक्रम अधिकारी बताते हैं, जब बच्चा छह माह का हो जाता है तो स्तनपान बच्चे के पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इस समय बच्चा तेजी के साथ बढ़ता है। इसके लिए उसे अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता पड़ती है जो स्तनपान से पूरी नहीं की जा सकती। इसके लिए बच्चे को स्तनपान के साथ-साथ अर्धठोस आहार देना चाहिए, क्योंकि छह माह से लेकर 24 माह तक के बच्चों को सही पोषण न मिलने से कुपोषित होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं। जो बचपन से लेकर पूरे जीवन तक बनी रहती है और जो आगे चलकर बच्चों में पोषण संबन्धित बीमारियां उत्पन्न करती हैं। इन पोषण की कमी के कारण बच्चे एनीमिक हो जाते हैं, जिसके कारण उनका शारीरिक एवं मानसिक कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है तथा संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है।
वहीं, बच्चे को इस दौरान अच्छा पोषण मिलने से बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास ठीक रहता है। बच्चों की एकाग्रता बढ़ जाती है और पढ़ाई में मन लगता है। देश का बेहतर भविष्य सुनिश्चित होता है।