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धर्म-कर्म

शारदीय नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित

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हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र पावन पर्व की शुरुआत 3 अक्टूबर यानी आज से हो रही है। नवरात्र के दौरान अलग-अलग दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इसके बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधिपूर्वक उपासना की जाती है।

विक्रम संवत 2081 में यह दिन गुरुवार को पड़ रहा है। देवी शैलपुत्री, जो पहले सती के रूप में जानी जाती थीं, शिव की अर्धांगिनी थीं। राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में शिव का अपमान होने पर सती ने यज्ञाग्नि में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद शिव ने वीरभद्र को यज्ञ विध्वंस के लिए भेजा। सती के शरीर के अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। अगले जन्म में सती ने शैलराज हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तप के बाद शिव को पति रूप में प्राप्त किया। पर्वतराज की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा गया। नवरात्रि के प्रथम दिन भक्तगण घटस्थापना और अखंड ज्योति प्रज्वलित कर देवी के प्रथम रूप की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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