वाराणसी
वोट चोरी देश की आत्मा पर हमला : राघवेंद्र चौबे

वाराणसी। जिला/महानगर कांग्रेस कमेटी वाराणसी के आवाह्न पर बुधवार को वोट चोरी के खिलाफ ऐसा स्वर बुलंद किया गया कि शाम 6 बजे से मोहल्लों, गलियों और गंगा किनारे बसे घाटों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक लोगों ने अपने-अपने घरों पर दीये, मोमबत्तियां और टॉर्च जलाना शुरू किया। पूरा शहर एक स्वर में लोकतंत्र बचाने का संदेश देता रहा। यह कार्यक्रम नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व में चल रहे कांग्रेस के ‘वोट चोरी विरोधी आंदोलन’ के क्रम में हुआ।
जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल व महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने जनता से अपील की थी कि वे लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ अपने घर से ही आवाज बुलंद करें और इस अंधकार के खिलाफ रोशनी की लौ प्रज्वलित करें। लोगों ने अपने परिवारों के साथ इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सोशल मीडिया पर #votechorikekhilafkashi हैशटैग ट्रेंड करता रहा, जहां हजारों की संख्या में लोगों ने अपने फोटो और वीडियो साझा किए। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग तक इस आंदोलन में शामिल हुए। वाराणसी के कई मोहल्लों में सामूहिक रूप से दीये जलाए गए और लोगों ने वोट चोरी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा कि लोकतंत्र की धरती पर किसी भी तानाशाह की साजिश सफल नहीं हो सकती। वाराणसी में जिस तरह से जनता ने घर-घर से रोशनी की लौ जलाई है, यह केवल दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी नहीं बल्कि जनता के दिलों में जल रही उम्मीद और प्रतिकार की ज्वाला है। यह कार्यक्रम राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही उस मुहिम का हिस्सा है जो पूरे देश में लोकतंत्र बचाने की लड़ाई लड़ रही है।
उन्होंने कहा कि वोट चोरी सिर्फ किसी पार्टी का मुद्दा नहीं है बल्कि यह देश की आत्मा पर हमला है। जब जनता का वोट छीना जाता है तो उनकी आवाज, उनका भविष्य और उनके सपने छीने जाते हैं। यह आंदोलन पूरे देश में श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व में चल रहा है और इसका उद्देश्य वोट चोरी करने वालों को जनता के सामने बेनकाब करना है। खासकर वाराणसी, जहां से नरेंद्र मोदी जी वोट चोरी कर सांसद बने हैं। यदि चुनाव आयोग वाराणसी की इलेक्ट्रॉनिक वोटर लिस्ट सार्वजनिक कर दे तो सच सामने आ जाएगा। हम यह लड़ाई अंत तक लड़ेंगे और लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए इसे गांव-गांव और गली-गली तक ले जाएंगे। काशी से उठी यह चिंगारी अब लोकतांत्रिक क्रांति का स्वरूप लेगी।
वाराणसी के सिगरा, लंका, चौकाघाट, खजुरी, लहुराबीर, भेलूपुर, अस्सी घाट, पांडेयपुर, कैंट और ग्रामीण अंचलों तक लोगों ने अपने घरों पर मोमबत्तियां और दीये जलाकर लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया। मोबाइल की टॉर्च जलाकर भी विरोध दर्ज किया गया और घर-घर से प्रतिकार की लौ जली। सभी लोगों ने एक स्वर में कहा “वोट चोर–गद्दी छोड़”।
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राजेश्वर सिंह पटेल, राघवेंद्र चौबे, डॉ राजेश गुप्ता, सतनाम सिंह, वकील अंसारी, अरुण सोनी, रमजान अली, मयंक चौबे, सुनील श्रीवास्तव, चंचल शर्मा, विकास कौण्डिल्य, सतीश कशेरा, राजेंद्र गुप्ता, आशिष केशरी, प्रमोद वर्मा, नरसिंह वर्मा, मनोज वर्मा मनू, रोहित दुबे, पियूष श्रीवास्तव, रमेश शर्मा, बदरे आलम, महेश चौबे, सदानंद तिवारी, खालिद सिद्दीकी, पप्पू भाई, किशन यादव, विनीत चौबे, राजेश सोनकर, अनिल पटेल समेत हजारों लोगों ने भागीदारी दर्ज की।