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मिर्ज़ापुर

वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से नवरात्र में नीम के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई

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लालगंज (मिर्जापुर)। वन विभाग लालगंज के अधिकारी और लकड़ी माफियाओं की मिलीभगत से नवरात्र के पावन पर्व पर पर्यावरण को गहरा आघात पहुंचाया जा रहा है। विजयपुर गाँव में बीते तीन-चार दिनों से नीम और जामुन के हरे-भरे पेड़ों की बेरोक-टोक कटाई जारी है। अब तक करीब ढाई दर्जन पेड़ों को अवैध रूप से काटा जा चुका है, जिससे क्षेत्र में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

फर्जी परमिशन के सहारे पेड़ों की कटाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वन विभाग लालगंज रेंज से फर्जी परमिशन लेकर किसान कार्य व खेती कराने के नाम पर हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कराई जा रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिना किसी ठोस जांच-पड़ताल के ही वन विभाग के अधिकारियों ने कटाई की मंजूरी दे दी। इस संदर्भ में जब वन क्षेत्राधिकारी कृष्ण कुमार सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि पेड़ों को काटने की परमिशन ली गई है। हालांकि, इस परमिशन की सत्यता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

लकड़ी माफियाओं की खुली स्वीकारोक्ति
लालगंज निवासी बल्ला खान, जोकि लकड़ी का सौदागर माना जाता है, ने इस पूरे मामले पर खुलकर कहा कि “हर काम का सौदा होता है। वन विभाग के अधिकारी और तथाकथित पत्रकारों को मैनेज करना पड़ता है। ऐसे ही कोई हरे पेड़ नहीं काट सकता। कितने पेड़ काटने हैं, इसका खुलासा नहीं किया जाएगा, बस परमिशन मिल जाती है।”

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पर्यावरण को हो रहा भारी नुकसान
वन विभाग की इस लापरवाही से क्षेत्र का हरित आवरण तेजी से नष्ट हो रहा है। नवरात्र के दौरान नीम के पेड़ों की कटाई किए जाने से श्रद्धालु और पर्यावरण प्रेमी गहरी चिंता में हैं। खासतौर पर शीतला व दुलारो माता के भक्तों में इस घटना को लेकर भारी रोष है।

शीतला मंदिर के पास भी पेड़ों की कटाई, जनता में आक्रोश
शीतला मंदिर के निकट नवरात्र के दौरान ही कई नीम के पेड़ जमींदोज कर दिए गए हैं, जिससे श्रद्धालु और स्थानीय ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। जनाक्रोश इस कदर बढ़ चुका है कि लोग जिलाधिकारी से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि यह कटाई नहीं रोकी गई, तो आने वाले वर्षों में छानबे क्षेत्र का यह इलाका मरुस्थल बन जाएगा।

प्रशासन से की गई कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने जिलाधिकारी से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि वन विभाग के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना आवश्यक है, ताकि पर्यावरण और धार्मिक आस्थाओं की रक्षा की जा सके।

देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है और क्या वन विभाग के अधिकारियों और लकड़ी माफियाओं पर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

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