अपराध
रिटायर्ड नेवी अफसर से 98 लाख की साइबर ठगी
पेंशन-एफडी सब खत्म, पूर्व सीजेआई और सीबीआई अफसर बनकर डराया
वाराणसी | साइबर अपराधियों ने भारतीय जल सेना से रिटायर्ड ऑनरी सब लेफ्टिनेंट अनुज कुमार यादव से 98 लाख रुपये की ठगी की। ठगों ने उन्हें 22 दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर उनकी सारी जमा पूंजी हड़प ली।
घटना 11 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच हुई। ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी, जज और सीबीआई अफसर बताकर डराया। फर्जी केस का हवाला देकर एफडी और सेविंग्स तुड़वाकर अलग-अलग खातों में पैसा ट्रांसफर करवाया।
झूठे केस में फंसाने की धमकी
सारनाथ थाना क्षेत्र के माधव नगर कॉलोनी निवासी अनुज कुमार यादव (रिटायर्ड 31 जुलाई 2024) के मोबाइल पर 11 नवंबर को एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर जारी सिम का दुरुपयोग हो रहा है।
इसके बाद, उन्हें मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन से संपर्क करने को कहा गया। जल्द ही, एक अन्य कॉलर ने खुद को विवेचना अधिकारी बताते हुए मनी लॉन्ड्रिंग केस में एफआईआर दर्ज होने की जानकारी दी।
पूर्व सीजेआई और सीबीआई अफसर बनकर डराया
ठगों ने व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के जरिए डराया। वे कभी पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का नाम लेते, तो कभी सीबीआई चीफ बनकर उनसे बात करते। फर्जी दस्तावेज और जाली फोटो भेजकर भरोसा दिलाया और कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।
98 लाख की ठगी: पेंशन, एफडी सब खत्म
अनुज कुमार ने ठगों के डर से 33 लाख रुपये इंडसइंड बैंक, 50 लाख कोटक महिंद्रा बैंक और 15 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक में ट्रांसफर किए। उनकी पत्नी से भी एफडी तुड़वाकर पैसे जमा कराए गए। ठगों ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद पैसा लौटा दिया जाएगा। लेकिन जब खाते खाली हो गए, तो धमकियां बंद कर दीं।
3 दिसंबर को अनुज कुमार का बेटा घर लौटा। उसने माता-पिता की हालत देखकर पूरा मामला समझा और तुरंत पुलिस को सूचना दी। सारनाथ थाने में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद मामला साइबर क्राइम थाने भेजा गया। पुलिस ने केस दर्ज कर ठगों के फोन नंबरों की लोकेशन और नेटवर्क की जांच शुरू कर दी है।
