वाराणसी
मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ को अर्पित हुए 56 भोग, भक्तों ने ग्रहण किया प्रसाद

वाराणसी। कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में इस वर्ष भी अन्नकूट पर्व श्रद्धा और भक्ति के माहौल में धूमधाम से मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में आयोजित यह पर्व अन्न की समृद्धि, कृतज्ञता और सहयोग की भावना का प्रतीक माना जाता है।
इस अवसर पर मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ को 56 प्रकार के व्यंजन और 14 क्विंटल मिठाइयों का भोग लगाया गया। मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई मिठाइयों में छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी, मेवा लड्डू और पारंपरिक नमकीन शामिल थे। पूरा धाम पुष्पों, दीपों और सुगंधित धूप से सुसज्जित रहा, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो उठा।
धाम परिसर में श्री विश्वेश्वर महादेव का शृंगार 21 क्विंटल मिष्ठान्नों से किया गया, जो विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा अर्पित किया गया था। साथ ही, माता गौरी और गणेशजी की पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से प्रारंभ होकर शहनाई, डमरू की मंगल ध्वनि और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के बीच गर्भगृह तक पहुंची।

विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न हुई मध्याह्न भोग आरती के बाद भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया। श्रद्धालुओं ने अत्यंत उत्साह और भावनाओं के साथ प्रसाद ग्रहण कर समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना की।
अन्नकूट पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों का जीवंत प्रतीक भी है। यह उत्सव समाज में एकता, सहयोग और दान की भावना को प्रबल करता है। भक्त एकत्र होकर न केवल भगवान की आराधना करते हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ आनंद और भक्ति का अनुभव साझा करते हैं।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में संपन्न यह अन्नकूट महोत्सव आस्था का ही नहीं, बल्कि समरसता और आध्यात्मिक उत्थान का दिव्य संदेश भी लेकर आया—यही संदेश देता है कि सच्ची भक्ति और निःस्वार्थ सेवा से ही सनातन परिवार एक सूत्र में बंधा रह सकता है।