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गोरखपुर

महुआडाबर में 75 साल पुरानी रामलीला परंपरा को बचाने का संकल्प

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दीपावली मध्य सजेगा भव्य मंच

गोरखपुर। सहजनवा तहसील के ग्रामसभा महुआडाबर में 75 वर्ष पुरानी रामलीला और मेला परंपरा को जीवित रखने के लिए ग्रामीणों ने एकजुटता का परिचय दिया है। रविवार को नरेंद्र धर दुबे के आवास पर आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में गांव के बुजुर्गों, युवाओं, ने रामलीला समिति के सदस्यों और जनप्रतिनिधियों ने इस सांस्कृतिक धरोहर को हर हाल में कायम रखने का संकल्प लिया। यह परंपरा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जो दशकों से गांव की पहचान रही है।

बैठक में इस बार दशहरे पर मौसम की मार के कारण रामलीला-मेला आयोजन में आई बाधा पर चर्चा हुई। भारी बारिश से मैदान में पानी भरने और मिट्टी गीली होने के कारण समिति को कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। लेकिन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि दीपावली के अंदर इस आयोजन को और भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामबुझारत पासवान ने कहा, “रामलीला हमारी सांस्कृतिक पहचान है। मैदान को जल्द समतल और सूखा बनाकर आयोजन की तैयारी शुरू की जाएगी।” उन्होंने युवाओं से सक्रिय सहयोग की अपील की।

रामलीला समिति के सदस्य धर्मपाल उपाध्याय, मनीष दुबे और बिभोर दुबे ने कहा कि यह आयोजन गांव की एकता और भाईचारे का आधार है। युवाओं ने मैदान की सफाई, मिट्टी डालने और साज-सज्जा की जिम्मेदारी उत्साहपूर्वक ली। ग्रामीणों का मानना है कि महुआडाबर की रामलीला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक मेलजोल का केंद्र है, जिसमें आसपास के गांवों से हजारों लोग शामिल होते हैं। मेले का उत्सव और रामलीला का मंचन क्षेत्र में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है।

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दीपावली के मध्य होने वाले इस आयोजन से गांव में उत्साह चरम पर है। ग्रामीणों का कहना है कि दीपावली के पर्व के बाद रामलीला और मेला पूरे क्षेत्र में एक अनूठा आकर्षण बनेगा। बुजुर्गों ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “परंपरा को जीवित रखना हमारा धर्म है। मौसम की बाधा हमें नहीं रोक सकती।”

यह बैठक सामूहिक सहयोग और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रतीक बनी। अब महुआडाबर के लोग दीपावली बाद भव्य रामलीला-मेला के आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो गांव की एकता और सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत करेगा।

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