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वाराणसी

महिला हिंसा के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन 22 को

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वाराणसी। महिला हिंसा, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से क्षुब्ध होकर वाराणसी के विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने 22 अप्रैल को जोरदार विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। रामकटोरा स्थित संता भवन में आयोजित एक संयुक्त बैठक में शहर में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

बैठक में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा के साथ बलात्कार, हुकूलगंज में मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी, और एक अन्य छात्रा के साथ कई दिनों तक हुए सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाओं को लेकर आक्रोश जताया गया। वक्ताओं ने कहा कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के लापता होने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। वहीं, अवैध हुक्का बार, नशे के अड्डों और होटलों में चल रहे अनैतिक गतिविधियों पर जिला प्रशासन और पुलिस की चुप्पी को संदेहास्पद बताया गया।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि बनारस की गरिमा, संस्कृति और विरासत को तार-तार किया जा रहा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे नारे अब खोखले साबित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार बनारस की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को चौपट कर रही है।

बैठक में निर्णय लिया गया कि 22 अप्रैल को रानी लक्ष्मीबाई स्मारक से प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला जाएगा और राष्ट्रपति तथा राज्यपाल को मांग पत्र भेजा जाएगा। साथ ही, बनारस की विरासत और नागरिक हितों की रक्षा के लिए एक संयुक्त जन अभियान चलाया जाएगा।

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बैठक में कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, सीपीएम के केंद्रीय समिति सदस्य हीरालाल यादव, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, कांग्रेस के प्रदेश सचिव फसाहत हुसैन, प्रवक्ता संजीव सिंह, राजद जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार यादव, सीपीआई के जय शंकर पांडे, माले नेता मिठाई लाल, नंदलाल पटेल, अनिल कुमार सिंह, कांग्रेस नेता प्रमोद वर्मा, सामाजिक इंसाफ मोर्चा के महफूज आलम, फारवर्ड ब्लॉक के संजय भट्टाचार्य और आर डी सिंह विप्लवी सहित कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता कुंवर सुरेश सिंह ने की।

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