गाजीपुर
महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति के जन्मोत्सव पर उमड़ा सैलाब

जखनियां (गाजीपुर)। तहसील क्षेत्र के सिद्धपीठ हथियाराम मठ परिसर में रविवार को पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति जी महाराज का चातुर्मास एवं अवतरण दिवस धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। इस मौके पर हजारों शिष्यों एवं श्रद्धालुओं की उपस्थिति से भरा कार्यक्रम स्थल अपने आप में अद्भुत और अद्वितीय रहा। शिष्यों और श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण की भावना को बल देने वाला था।
सिद्धपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज ने अपने शिष्यों, भक्तों और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने के क्रम में उपस्थित जनसमुदाय से आग्रह करते हुए कहा कि वर्ष में 365 दिन होते हैं, जिनमें “364 दिन मैं लोककल्याण हेतु साधना और तप के बलबूते संचित शक्ति-सामर्थ्यपूर्ण आशीर्वाद प्रदान करता हूँ, तथा एक दिन मैं आप सभी से अपने प्रति आशीर्वाद अभिलाषा रखता हूँ, जिसके लिए आप सबकी उपस्थिति एवं स्नेहिल आशीर्वाद प्राप्त हुआ है, होता रहता है और आगे भी अपेक्षा रखता हूँ। जिसके प्रति आप सबका आभार ज्ञापित करने के लिए मेरे पास मौजूद शब्द भी कम पड़ जाएंगे।”
उन्होंने सिद्धपीठ के प्रति द्वेष रखने तथा हमारी पीठ पीछे निंदा करने वालों की लंबी श्रृंखला होने का जिक्र किया, जो प्रायः “मठ को बदनाम करने की साज़िश करते रहते हैं। फिर भी कुत्सित भावनाओं में सफल नहीं हो पाते, यह बुढ़िया माई के असीम कृपा का फल है।” आगे उन्होंने कहा कि हमारी “29 वर्षों की तपस्या और सेवा भावना ने सिद्धपीठ को प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में एक विशेष पहचान दिलाई है।”
अपने तपस्वी जीवन के शुरुआती दौर को याद कर महाराज श्री एक पल के लिए भावुक हो गए और उनकी आंख भर आई। साथ ही पाण्डाल में मौजूद लोग भी कुछ पल के लिए भावुक हो गए, तब जब संन्यास दीक्षा ग्रहण करने के बाद मां से हुई मुलाकात की चर्चा पर उद्बोधन आया। उन्होंने कहा, “संन्यास दीक्षा का संज्ञान लेते ही मां ने कहा, जाओ फिर कभी घर लौट कर मत आना। मैं आज तक मठ और गुरुजनों द्वारा स्थापित परंपरा के निर्वहन में लगा हुआ हूँ। मां के देहावसान में मैं घर नहीं गया। भला मां की याद किसे नहीं आती? मां जन्मदात्री हैं। लेकिन संन्यास के भी कुछ नियम हैं, जिनका आज तक निर्वहन कर रहा हूँ।”
स्वामी भवानी नंदन यति ने आगे कहा कि आज का दिन विशेष है क्योंकि देश के कोने-कोने से विभूतियां, आईएएस, पीसीएस अधिकारी और राजनीतिक हस्तियां यहां आकर आशीर्वाद ले रही हैं। उन्होंने मंच से यह भी कहा कि “जिस दिन इस मठ से चला जाऊँगा, लौटकर नहीं आऊँगा। मेरा व्रत और तप सदैव लोककल्याण के लिए ही समर्पित है।”

इस अवसर पर अनेक नामचीन हस्तियां मौजूद रहीं। इनमें वाराणसी कमिश्नर एस. राज लिंगम, जिलाधिकारी अविनाश कुमार, पुलिस अधीक्षक डॉ. ईरज राजा, कुलपति आर.एस. द्विवेदी, एस.एन. मीणा, रामजी उपाध्याय, पुलिस अधीक्षक ओमबीर सिंह, रजनीश जी, जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह, उपजिलाधिकारी रवीश गुप्ता, सीओ सुधाकर पांडेय, कोतवाल धीरेन्द्र प्रताप सिंह, भुड़कुड़ा हथियाराम चौकी प्रभारी रणधीर सिंह, भानु प्रताप, डॉ. संतोष यादव, पंडित रत्नाकर त्रिपाठी, प्रमोद वर्मा, राणा प्रताप चौबे, गौरीशंकर पांडेय, सरस रमेश यादव, नेता डॉ. रमाशंकर राजभर, पूर्व मंत्री और रणजीत सिंह सहित कई गणमान्य लोग शामिल रहे।