धर्म-कर्म
महाभैरवाष्टमी पर बाबा लाट भैरव ने दिया बाल स्वरूप का दर्शन
वाराणसी में महाभैरवाष्टमी के पावन अवसर पर बाबा लाट भैरव ने भक्तों को बाल स्वरूप में दर्शन देकर कृतार्थ किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में एकत्र होकर पूजा-अर्चना में शामिल हुए। मान्यता है कि इस दिन बाबा के बाल स्वरूप के दर्शन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।
ब्रह्म मुहूर्त में बाबा श्री कपाल भैरव के विशाल लिंगाकार स्वरूप का दश विधि स्नान कराया गया। भक्तों ने पंचाक्षरी मंत्र का जप करते हुए गाय का दुग्ध, घी, शहद, इत्र, पंचामृत, गुलाब जल और काशी के विभिन्न तीर्थों के जल से विधिवत स्नान कराया। इसके उपरांत बाबा को नवीन वस्त्राभूषण से अलंकृत किया गया।
बाबा के बाल स्वरूप का मनोहारी दर्शन भक्तों को आह्लादित कर रहा था। प्रातःकाल की पहली आरती उतारी गई। भैरवाष्टकं का पाठ कर स्तुतिगान किया गया। इस विशेष अवसर पर भैरवीकूप और कपाल मोचन कुंड की आरती भी उतारी गई। सुबह से ही बड़ी संख्या में भक्तों ने दर्शन पूजन का क्रम प्रारंभ किया। देर शाम अन्नकूट शृंगार और सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
शिव नगरी में पूजे गए काशी के आठों दिशाओं रक्षक बुधवार को महाभैरवाष्टमी के पावन पर्व पर श्री लाट भैरव काशी यात्रा मंडल के तत्वावधान में भैरव प्रदक्षिणा यात्रा का आयोजन किया गया। कज्जाकपुरा स्थित लाट भैरव मंदिर से यात्रा प्रारंभ हुई और ब्रह्म दोष के मुक्ति स्थल पौराणिक श्री कपाल मोचन कुंड के जल से भक्तों ने जलमार्जन किया।
यात्रा में भक्तों ने संकल्प लेकर आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित भैरवाष्टकम का पाठ किया। श्रद्धालु नंगे पांव सादगी से पारंपरिक परिधान में मस्तक पर त्रिपुंड लगाए मानसिक जप करते हुए चल रहे थे। “जय भैरव बम भैरव” के उद्गोष के संग भक्तों ने काशी के चार कोण और चार दिशा अर्थात आठों दिशाओं के रक्षक अष्ट प्रधान भैरव के दर्शन किए।
यात्रा में महामृत्युंजय स्थित असितांग भैरव, दुर्गाकुंड स्थित चंड भैरव, हरिश्चंद्र घाट स्थित रुरु भैरव, कामाख्या देवी कमक्छा स्थित क्रोधन भैरव, बटुक भैरव स्थित उन्मत्त भैरव, कज्जाकपुरा स्थित कपाल भैरव, भूत भैरव नखास स्थित भीषण भैरव, गायघाट स्थित संहार भैरव सहित समीपवर्ती अन्य भैरव मंदिरों में दर्शन कर यात्रा पूर्ण हुई।
बाबा श्री को आठ प्रकार के भोग अर्पित किए गए और अष्ट भैरव के सम्मुख दीप जलाए गए। व्यवस्थापक केवल कुशवाहा ने बताया कि भैरवनाथ न्याय के देवता हैं। कालों के काल महाकाल कहे जाने वाले बाबा भैरव नाथ की उपासना से भक्तों को काल के भय से मुक्ति मिलती है। काशीपुरी के स्वामी की वंदना से शोक, मोह, दैन्य, लोभ, कोप और ताप आदि का नाश होता है।
