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“महापुरुषों को जाति में न बांधे, नहीं हटेगा सुहेलदेव के नाम से क्षत्रिय शब्द” : हाईकोर्ट
लखनऊ। एक जनहित याचिका जिसमें महाराज सुहेलदेव को भर जाति का होने का दावा किया, और उनके नाम में ‘क्षत्रिय’ शब्द हटाकर ‘भर’ शब्द लिखने के लिए कोर्ट में याचिका दिया था, इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि महान महापुरुष, धर्म व राष्ट्र रक्षक सभी वर्गों के आदर्श होते हैं, उन्हें जाति वर्ग के आधार पर बांटकर ना देखे। साथ ही इलाहाबाद न्यायालय ने स्पष्ट बताया कि, सुहेलदेव बैस जी के भर जाति के होने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण याचिका के पास उपलब्ध नहीं है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) व अन्य ऐतिहासिक सोर्स भी सुहेलदेव जी के भर जाति से होने कि कोई प्रमाणिकता सिध्द नहीं करते ।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि महाराजा सुहेलदेव बैस जी के नाम से क्षत्रिय शब्द नहीं हटेगा और न ही भविष्य में सरकार द्वारा किसी भी प्रतिमा या शिलापट्ट पर ‘भर’ शब्द उल्लेख किया जाएगा |
बहराइच के चितौरा झील के पास स्थापित महाराज सुहेलदेव की प्रतिमा पर क्षत्रिय सम्राट लिखे जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की गई थीं।