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मंडलीय चिकित्सालय में लापरवाही, प्राचार्य की उदासीनता पर उठे सवाल

मिर्जापुर। स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध मंडलीय चिकित्सालय में लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन इन सबसे प्राचार्य पर कोई असर होता नहीं दिख रहा। मरीजों की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं रह गया है।
बीते सप्ताह एक महिला मीडिया कर्मी उपचार के लिए शाम सात बजे इमरजेंसी वार्ड पहुंचीं, लेकिन वहां मौजूद वार्डबॉय ने उन्हें ओपीडी में जाने को कह दिया। उस समय कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। पीड़ित महिला ने प्राचार्य को तीन बार फोन मिलाया, मगर फोन नहीं उठाया गया।
सवाल यह है कि आखिर प्राचार्य किस काम में इतने व्यस्त थे। पूर्व के प्राचार्य मरीजों से सीधे जुड़कर उनकी समस्याओं का समाधान करते थे, लेकिन मौजूदा प्राचार्य की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इसी मुद्दे को लेकर भाजपा की एक महिला नेता ने शुक्रवार को प्राचार्य को समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन उन्होंने न तो समाधान की पहल की और न ही इमरजेंसी वार्ड जाकर हालात का जायजा लिया। इससे साफ झलकता है कि मरीजों की परेशानियों के प्रति उनकी लापरवाही किस हद तक है।
भैरो नेत्र चिकित्सालय में तैनात महिला डॉक्टर का कहना है कि प्राचार्य ने कार्यभार संभालने के बाद से अब तक किसी भी डॉक्टर पर कार्रवाई नहीं की है, जिससे चिकित्सकों में जवाबदेही का भाव खत्म हो गया है। यही वजह है कि सफाईकर्मी भी मनमानी करते हैं और समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते, जिससे अस्पताल की व्यवस्था चरमराई हुई है। अस्पताल परिसर में गंदगी और अव्यवस्था आम हो गई है।
यही नहीं, चिकित्सकों की बिल्डिंग में अन्य विभागों के अधिकारी अवैध रूप से रह रहे हैं। तैनात डॉक्टरों को मजबूरी में बाहर महंगे किराये पर मकान लेना पड़ रहा है। विश्वस्त सूत्रों से यह भी पता चला है कि भैरो नेत्र चिकित्सालय का अभी तक कार्यदायी संस्था को विधिवत हैंडओवर ही नहीं हुआ है।
ऐसे में मेडिकल कॉलेज द्वारा मनमाने तरीके से संचालन किसके आदेश पर हो रहा है, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। यदि इसकी उच्च स्तरीय जांच हो तो कई अनियमितताओं से पर्दा उठ सकता है।