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वाराणसी

भूजल संकट से जूझती असि नदी, प्रवाह बहाल करने की जरूरत

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वाराणसी के काशी विद्यापीठ और आराजीलाइन ब्लॉक में भूजल स्तर गिरने से असि नदी का प्रवाह टूट गया जिससे यह नदी नाले में बदल गई है। प्रयागराज से शुरू होकर लगभग 120 किलोमीटर का सफर तय करने वाली इस नदी का प्रवाह अब बाधित हो गया है।

भूजल का स्तर 15 मीटर से भी नीचे चला गया है जिसके कारण नदी की धारा दो स्थानों पर टूट चुकी है। इसके अलावा, नेशनल हाईवे के विस्तार ने भी असि नदी के प्रवाह में बड़ी रुकावट पैदा की। 90 के दशक में जीटी रोड के विस्तार के दौरान नदी पथ का ध्यान नहीं रखा गया जिससे नदी का शेष पथ भी प्रभावित हुआ।

आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में जल जीवन मिशन के तहत आयोजित इंजीनियरों की ट्रेनिंग में यह तथ्य सामने आया। वैज्ञानिकों ने यह भी प्रमाणित किया कि असि नदी का उद्गम प्रयागराज के दुर्वासा ऋषि आश्रम से हुआ है, जिसके पैलियो चैनल के प्रमाण मिले हैं।

बीएचयू के वैज्ञानिक प्रो. पीके सिंह ने बताया कि अस्सी क्षेत्र में जब भी सर्वे किया जाता है स्थानीय लोग घर टूटने की आशंका जताते हैं। लेकिन उद्देश्य केवल नदी में साफ पानी का प्रवाह सुनिश्चित करना है।

सीजीडब्ल्यूबी के आंकड़ों के अनुसार भूजल स्तर नीचे जाने के कारण नदी का प्रवाह पहले की तुलना में कर्दमेश्वर महादेव मंदिर तक भी नहीं पहुंच पा रहा है। आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ता अनुराग का कहना है कि नदी के प्रवाह को पुनः बहाल करने के लिए पांच से सात फीट गाद हटानी होगी साथ ही सॉलिड वेस्ट और डंपिंग वेस्ट भी साफ करना होगा।

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नदी के किनारे बाउंड्री बनानी होगी और सीवेज के पानी के लिए छोटे-छोटे ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने चाहिए। इससे नदी को फिर से ग्राउंड वाटर का सहारा मिलेगा और उसका प्रवाह बहाल हो सकेगा।

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