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सियासत

भाजपा में नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन तेज, जातीय समीकरण पर फोकस

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आंतरिक खींचतान बनी चुनौती

लखनऊ। भाजपा संगठन में चुनावी प्रक्रिया के बीच नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस बार प्रदेश अध्यक्ष के चयन में पिछड़ी और दलित जातियों के साथ ब्राह्मण चेहरे को भी तरजीह दी जा सकती है। संभावित नामों में पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर, सांसद रामशंकर कठेरिया, विनोद सोनकर (दलित चेहरे) और अमरपाल मौर्या, बीएल वर्मा, बाबूराम निषाद (पिछड़े चेहरे) शामिल हैं। वहीं, ब्राह्मण चेहरों के तौर पर राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा और हरीश द्विवेदी के नामों पर भी चर्चा हो रही है।

मंडल अध्यक्षों की सूची जारी, जिलाध्यक्षों के चुनाव होंगे अगले चरण में

भाजपा ने प्रदेश के 1819 मंडलों में से 751 मंडल अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। इनमें पिछड़ी और दलित जातियों की भागीदारी पर विशेष ध्यान दिया गया है। पार्टी के मुताबिक, जातीय समीकरण को संतुलित करने के लिए सामान्य जातियों को भी उचित स्थान दिया गया है। मंडल अध्यक्षों की घोषणा के बाद अब जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।

आंतरिक खींचतान बनी चुनौती

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मंडल अध्यक्षों के चुनाव के दौरान कई जिलों में आपसी सहमति न बन पाने के कारण समयसीमा में देरी हुई। तय सीमा के अनुसार, मंडल अध्यक्षों का चुनाव 15 दिसंबर और जिलाध्यक्षों का चुनाव 31 दिसंबर तक संपन्न होना था, लेकिन कार्यकर्ताओं में खींचतान के कारण यह प्रक्रिया विलंबित हो गई।

मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव में देरी

पार्टी के 1023 मंडलों से अध्यक्षों के नाम का पैनल प्रदेश नेतृत्व को मिला था, जिनका परीक्षण करने के बाद 751 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई। अब जिलाध्यक्षों के चुनाव 15 जनवरी तक होने की संभावना है।

प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन जारी

पार्टी नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन में हर पहलू पर विचार कर रहा है। शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने से पहले पिछड़े, दलित और ब्राह्मण चेहरों पर गहन मंथन किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जनवरी के अंत तक नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है।

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