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गोरखपुर

भगवान विष्णु-लक्ष्मी की आराधना से मिलता है मोक्ष और समृद्धि, जानें कब है ब्राह्म मुहूर्त

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कार्तिक माह का पुण्यस्नान

गोरखपुर। कार्तिक मास की शुरुआत होने वाली है, जो श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष और समृद्धि का अवसर लेकर आती है। इस पवित्र माह में गंगा, सरयू व आमी नदी के तटों पर स्नान, दान और दीपदान करने का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना से जीवन में सुख, शांति का मार्ग प्रशस्त होता है हिंदू धर्म में कार्तिक महीना अत्यंत

पवित्र और पुण्यदायक माना गया है। यह महीना भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। शास्त्रों में इसे “पुण्य मास” कहा गया है क्योंकि इस काल में किए गए स्नान, दान, दीपदान और पूजा का फल अक्षय माना जाता है। इस वर्ष कार्तिक स्नान मंगलवार, 7 अक्टूबर से प्रारंभ होकर देव प्रबोधिनी एकादशी तक चलेगा।

क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने भगवान श्री हरि विष्णु मत्स्य रूप में जल में निवास करते हैं और वामन अवतार पाताल में। इसलिए गंगा, सरयू और आमी जैसी पवित्र नदियों के तट पर श्रद्धालु कल्पवास करते हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में नियमपूर्वक स्नान, दान और उपासना करता है, वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

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शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक माह में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, यमदेव, पीपल देव और तुलसी माता के समक्ष दीप जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। नदी या सरोवर में दीप प्रवाहित करने से पूर्वजों को तृप्ति और आत्मा को मोक्ष मिलता है।


ब्रह्म मुहूर्त में करें ये काम

ब्राह्म मुहूर्त में स्नान, गंगाजल मिश्रित जल से स्नान और भगवान विष्णु के स्तोत्रों जैसे श्रीविष्णु सहस्रनाम, लक्ष्मी स्तोत्र, गोपाल सहस्रनाम, श्रीरामचरितमानस और गीता पाठ का श्रवण या पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है। कार्तिक माह में प्रतिदिन तुलसी की जड़ में जल अर्पित कर, उसके समीप घी का दीप जलाना भी शुभ कर्म है।
तुलसी विवाह का विशेष महत्व

देवप्रबोधिनी एकादशी को तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। यह विवाह भगवान विष्णु और तुलसी माता के पवित्र मिलन का प्रतीक है और इस दिन व्रत एवं दीपदान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस महीने में प्रतिदिन गाय को गुड़ मिलाकर रोटी खिलाना, ब्राह्मणों को अन्न-वस्त्र-दक्षिणा देना और तिल के दानों का अर्पण करना पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। पंडितों का कहना है कि कार्तिक माह में दीपदान के लिए तिल के तेल या देसी गाय के घी का दीपक सर्वोत्तम होता है।

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धार्मिक दृष्टि से कार्तिक न केवल श्रद्धा और साधना का महीना है, बल्कि यह लोककल्याण, आत्मशुद्धि और मोक्ष का भी संदेश देता है। जो व्यक्ति कार्तिक के नियमों का पालन करता है, वह इस लोक में सुखी रहता है और परलोक में उत्तम लोक की प्राप्ति करता है।

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