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मिर्ज़ापुर

“भक्ति, ज्ञान और कर्म का अद्भुत संगम है भागवत कथा” : जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्दतीर्थ

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मिर्जापुर। सिटी क्लब में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ में भक्तों ने भक्ति, ज्ञान और कर्म की पावन गंगा में डुबकी लगाई। इस भव्य आयोजन की शुरुआत अनंत श्री विभूषित काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्दतीर्थ जी के सान्निध्य में हुई, जहां श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत अनुभव किया।

गुरु शब्द की गूढ़ व्याख्या और अमर कथा का दिव्य प्रसंग
कथा के पहले दिन पूज्य महाराज जी ने गुरु शब्द की विशिष्ट व्याख्या करते हुए भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने श्री शुकदेव जी के जन्म की कथा का वर्णन किया, जिसमें बताया गया कि शिव-पार्वती के संवाद से उत्पन्न अमर कथा को सुनकर श्री शुकदेव जी अमर हो गए। इस कथा ने श्रद्धालुओं को मोह, माया और संसारिक बंधनों से ऊपर उठने का संदेश दिया।

श्रीमद्भागवत – भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग का प्रतीक
महाराज जी ने बताया कि भागवत के चार अक्षर – भा (भक्ति), ग (ज्ञान), व (वैराग्य) और त (त्याग) – जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के चार स्तंभ हैं। उन्होंने यह भी बताया कि श्रीमद्भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरूप है, जिसका प्रत्येक अक्षर दिव्य ऊर्जा से ओत-प्रोत है।

राजा परीक्षित और श्री शुकदेव जी का मार्मिक प्रसंग
भागवत कथा में राजा परीक्षित के श्राप और उनके उद्धार के प्रसंग ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। पूज्य महाराज जी ने बताया कि समाज के बनाए नियम बदल सकते हैं, लेकिन भगवान के नियम शाश्वत होते हैं। कथा में भीष्म पितामह के गंगा तट पर परमात्मा के दर्शन के साथ देह त्याग का वर्णन भी किया गया, जिसने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रेरणा दी।

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भव्य आयोजन और श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। इस पावन आयोजन का पूजन कार्य काशी धर्मपीठ के वैदिक आचार्यों द्वारा विधिवत संपन्न कराया गया। कथा का लाइव प्रसारण संतवाणी चैनल, काशीधर्मपीठम् यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पर भी किया जा रहा है, जिससे दूर-दराज के भक्त भी इस दिव्य कथा का लाभ उठा रहे हैं।

गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
कथा में नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर केशरी, अरुण कुमार दुबे, चंद्र प्रकाश त्रिपाठी, मुन्ना दुबे, अनिल दुबे, देवेश गोयल, विनोद तिवारी समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इसके अलावा टीम शिवाय फाउंडेशन, टीम विंध्य सार्थक रिसोर्ट, टीम बंशावित्री इंटीरियर और नगर के अन्य गुरु भक्तों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

पूज्य महाराज जी ने कथा के अंत में कहा कि श्रीमद्भागवत सुनना सभी पुण्य कर्मों से बढ़कर है, क्योंकि यह मन, वचन और कर्म को पवित्र करता है और जीव को परमात्मा से मिलने का मार्ग दिखाता है।

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