धर्म-कर्म
ब्रह्मचारिणी देवी के पूजा से भक्तों को मिलता है मनवांछित फल
आज नवरात्रि के दूसरे दिन माता दुर्गा के द्वितीय स्वरूप, ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्मचारिणी ब्रह्मा जी की शक्ति होने के कारण इस नाम से विख्यात हैं। मान्यता है कि उनका उत्पत्ति ब्रह्मा जी के कमंडल से हुआ है। चूंकि ब्रह्मा जी सृष्टि के सर्जक हैं और ब्रह्मचारिणी उनकी शक्ति इसलिए जब मानसपुत्रों के द्वारा सृष्टि का विस्तार नहीं हो पाया। तब ब्रह्मा जी की इस शक्ति ने सृष्टि का विस्तार किया। इसी कारण स्त्री को सृष्टि का सृजनकर्ता माना जाता है।
ब्रह्मचारिणी देवी को ज्ञान, वैराग्य और ध्यान की अधिष्ठात्री माना जाता है। उनके एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में रुद्राक्ष की माला होती है। नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा करने से ध्यान और योग में उच्च स्तर की प्राप्ति होती है और भक्तों को ध्यान के माध्यम से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।