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वाराणसी

बीएचयू फीस वृद्धि के खिलाफ़ भगतसिंह छात्र मोर्चा का केंद्रीय कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन

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रिपोर्ट – मनोकामना सिंह

वाराणसी| बीएचयू में फीस वृद्धि के खिलाफ भगतसिंह छात्र मोर्चा ने नेतृत्व में सैकड़ो छात्र-छात्राओं ने बीएचयू विश्वनाथ मंदिर से केंद्रीय कार्यालय तक मार्च निकाला। छात्र छात्राओं ने केंद्रीय कार्यालय जाकर उसका घेराव करके विरोध प्रदर्शन किया। कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी कि जल्द से जल्द फीस वृद्धि को वापस नहीं लिया गया तो पूरे बीएचयू को बंद करके बड़ा आंदोलन करेंगे। बताते चले कि पिछले दिनों बीएचयू प्रशासन ने बीएचयू में शिक्षण व छात्रावास की 50%–100% की वृद्धि की।

विरोध प्रदर्शन के दौरान मोर्चा के सदस्य जब केंद्रीय कार्यालय गेट पर पहुंचे तो रोकने आई सुरक्षाकर्मियों व पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई। उसके बाद छात्र-छात्राएं वहीं बैठकर सभा की और आम छात्र-छात्राओं के बीच फ़ीस वृद्धि के पीछे छिपी राजनीति का पर्दाफाश भी किया। सभा का संचालन मानव उमेश ने करते हुए कहा कि फ़ीस वृद्धि के ज़िम्मेदार सिर्फ़ कुलपति और बीएचयू प्रशासन नहीं है बल्कि सरकार भी उतनी भी ज़िम्मेदार है। जिस तरह देश की सभी संपत्तियों को सरकार तेज़ी ने निजीकरण कर रही है उसी नीति के तहत यह बीएचयू एवं अन्य विश्वविद्यलयों का निजीकरण करने की योजना है।

इप्शिता ने कहा की नई शिक्षा नीति 2020 और कुछ नहीं बल्कि गरीबों को उच्च शिक्षा से बेदख़ली का दस्तावेज है। जिसका मकसद है उच्च शिक्षा को खरीदने और बेचने की वस्तु बना देना। यानी उच्च शिक्षा वही विद्यार्थी ले सकता है जिसके पास इसे खरीदने के पैसे हो। कितनी शर्म की बात है देश की सरकारें व विश्वविद्यलयों के कुलपतियों बड़ी बेशर्मी से फीस बढ़ा कर गरीब,दलित, पिछड़े घरों के बच्चों को विश्वविद्यलयों में पढ़ने के रोक देना चाहते हैं। शिक्षा का देश व समाज की उन्नति में अहम योग्यदान है,और अगर इस तरह फीस वृद्धि हुई तो देश की एक बड़ी आबादी शिक्षा से वंचित हो जाएगी। तब फिर देश और समाज का विकास रुक जाएगा।

आकांक्षा ने बात रखते हुए कहा कि मोदी सरकार ने भारत की उच्च शिक्षा को सन 2015 में ही WTO( विश्व व्यापार संगठन) व GATS( जनरल अग्रीमेंट ट्रेड एंड सर्विसेज) हवाले कर, शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने का रास्ता साफ मर दिया था। उसी का परिणाम है कि आज सभी शिक्षण संस्थानो में बेतहाशा फीस वृद्धि हो रही है। हम सभी को कुलपति, सरकार के साथ सभी प्रकार की साम्राज्यवादी संगठन WTO-GATS, वर्ल्ड बैंक के हस्तक्षेप पर भी सवाल उठाना चाहिए।
संगठन के सचिव अनुपम ने जोशीला भाषण देते हुए हर क्षेत्र में निजीकरण कर रही सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से बताया कि टाटा-बिरला-अंबानी-अडानी के इशारे पर शिक्षा जो हर इंसान का मूलभूत अधिकार है, उसे मुनाफे की वस्तु बना दिया गया है।
सभा में सोनाली, अंकित, कमलेश व राजेश ने अपनी बात रखते हुए एक सुर में कहा की इस बेतहाशा फीस वृद्धि से समाज में हासिए पर खड़े लोग जो थोड़ा बहुत विश्वविद्यालय तक पहुंच पा रहे हैं और पढ़ पा रहे हैं वो इससे महरूम हो जायेंगे।

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छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान नई शिक्षा नीति 2020 वापस लो, ‘शिक्षा मंत्री मुर्दाबाद, बीएचयू वीसी होश में आओ, सुधीर कुमार जैन मुर्दाबाद, मोदी सरकार होश में आओ, WTO-GATS मुर्दाबाद, फीस वृद्धि वापस लो,सबको शिक्षा सबको काम वरना होगी नींद हराम,
शिक्षा पर जो खर्चा हो,बजट का वो 10वां हिस्सा हो,
मजदूर हो या राष्ट्रपति की संतान, सबको शिक्षा एक समान आदि नारे लगाए व क्रांतिकारी गीतों को भी गया।

छात्रों ने ज्ञापन देते हुए मांग न माने जाने पर बड़े आन्दोलन की चेतावनी दी। इस दौरान आकांक्षा आज़ाद, मानव उमेश, सोनाली, आलोक, ब्रह्मनारायन, उत्कर्ष, किशन, हर्ष, आदर्श, अभिनव, अमित गौरव, इप्शिता, अंकित, राजेश,अनुपम सहित 60-70 छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

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