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शिक्षा

बीएचयू और ओस्लो विश्वविद्यालय मिलकर करेंगे शोध पर कार्य

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एआई और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर चलेगी क्लास, बीएचयू को मिलेगा वैश्विक पहचान

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। नार्वे के ओस्लो मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय के साथ शिक्षण, शोध और शैक्षणिक साझेदारी को लेकर बीएचयू प्रशासन और प्रतिनिधि मंडल के बीच अहम बैठक हुई। बैठक कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में संपन्न हुई।

दस दिवसीय भारत दौरे पर आए ओस्लो विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों ने बीएचयू के शिक्षण और अनुसंधान कार्यक्रमों की जानकारी ली। इस दौरान कुलपति प्रो. चतुर्वेदी ने कहा, “बीएचयू अपने विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग से शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ेगी और शोध को नई दिशा मिलेगी।”

बीएचयू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी मजबूती

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कुलपति ने कहा कि ऐसी साझेदारियाँ बीएचयू की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करेंगी। संभावित सहयोग क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि विद्यार्थी और शोधार्थी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उत्कृष्टता प्रदर्शित कर सकें।

बैठक में शिक्षक-आदान प्रदान कार्यक्रम, संयुक्त शोध परियोजनाएँ और सांस्कृतिक-शैक्षणिक पहल जैसे सहयोग क्षेत्रों पर चर्चा हुई। साथ ही, विदेशी इंटर्नशिप और छात्र विनिमय कार्यक्रम को और मजबूत करने पर सहमति बनी।

दो दशकों से कायम है शैक्षणिक संबंध

ओस्लो विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि प्रो. नुट ऑकलैंड ने बताया कि दोनों संस्थानों के बीच पिछले दो दशकों से शैक्षणिक संबंध बने हुए हैं। उन्होंने कहा, “अब इस सहयोग को और व्यापक बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।” उन्होंने बीएचयू के अकादमिक वातावरण और अनुसंधान की परंपरा की सराहना की और कहा कि नार्वे के विद्यार्थी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

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बैठक के दौरान दोनों विश्वविद्यालयों के बीच एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। कुलपति ने ओस्लो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कारा विलि को सम्मानित किया और दीर्घकालिक सहयोग की आशा व्यक्त की।

एआई और डिजिटल परिवर्तन पर होगा फोकस

इस सहयोग के तहत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर विशेष अध्ययन और शोध कार्य किए जाएंगे। बीएचयू महिला महाविद्यालय में इसी क्रम में जर्मनी के साहित्य, संस्कृति और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ स्टेफन रे और डेनिएला वेबर-रे ने छात्राओं से संवाद किया।

उन्होंने शिक्षा में अंतर-सांस्कृतिक सहयोग और कॉरपोरेट नवाचार की उपयोगिता पर अपने विचार साझा किए। वेबर-रे ने कहा कि एआई और डिजिटल तकनीकें विद्यार्थियों के सीखने के अनुभव को अधिक समृद्ध और प्रभावी बना रही हैं।

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