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गोरखपुर

बिना नोटिस के हो रहा रामदरश पांडेय का उत्पीड़न, दबंगई पर प्रशासन मौन

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गोरखपुर। खजनी तहसील क्षेत्र के बिहारी बुजुर्ग गाँव में एक बार फिर प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। गाँव के निवासी रामदरश पांडेय (हार्ट बीपी के मरीज) ने शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए आरोप लगाया है कि बिना किसी न्यायालयीय नोटिस के उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है।

पीड़ित रामदरश पांडेय ने बताया कि वे वर्षों से गाटा संख्या 194 की भूमि पर काबिज हैं। इसी भूमि पर रामचंद्र यादव (जो वर्तमान में पुलिस विभाग में सेवारत हैं) अपने शासन-प्रशासनिक प्रभाव और दबंगई के बल पर पूरे ग्रामवासियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रास्ते की जमीन पर टीन शेड, फलदार वृक्ष, नींबू व बांस की बली से घेर करके रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया है, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही बाधित हो गई है।

रामदरश पांडेय के अनुसार, राजस्व विभाग की टीम पहले ही मौके पर पहुँचकर पैमाइश कर चुकी है, जिसमें रास्ता स्पष्ट रूप से चिन्हित हुआ था। बावजूद इसके, रामचंद्र यादव, उनके दामाद पिंटू यादव, पुत्री पूजा यादव तथा भतीजा राजकुमार यादव ने गाँव की आबादी की जमीन पर जो सार्वजनिक रास्ता सैकड़ों साल से चलता आया था, उस पर कब्जा बरकरार रखा हुआ है।

पीड़ित ने यह भी कहा कि न्यायालय में मामला विचाराधीन है, इसके बावजूद विपक्षी पक्ष दबंगई दिखाते हुए फर्जी मुकदमों में फंसाने का प्रयास कर रहा है। इस अनुचित दबाव और उत्पीड़न से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है। रामदरश पांडेय ने बताया कि गाटा संख्या 194 में रामचंद्र यादव सहित कन्हैयालाल, जगलाल गौड़, श्याम नारायण गौड़ आदि लोग भी शामिल हैं।

परिवार का कहना है कि यदि किसी भी अनहोनी की घटना घटती है, तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी रामचंद्र यादव और उनके परिवार की होगी। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रास्ता अवरुद्ध होने से पूरे गाँव के लोगों को भारी असुविधा हो रही है। उन्होंने भी रास्ता मुक्त कराने और प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग की है।

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गौरतलब है कि राजस्व विभाग की चुप्पी और प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि यदि सक्षम अधिकारी समय रहते हस्तक्षेप नहीं करते, तो क्षेत्र में किसी गंभीर घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

रामदरश पांडेय ने शासन से मांग की है कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए और बिना नोटिस दिए किए जा रहे उत्पीड़न पर तुरंत रोक लगाई जाए।

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