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वाराणसी

बनास डेरी की पहल से पूर्वांचल में होगी श्वेतक्रांति

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वैज्ञानिक पशुपालन से पूर्वांचल में आएगी समृद्धि

वाराणसी। गुजरात के अर्ध शुष्क क्षेत्र बनासकांठा में पशुपालन की वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर जो सफलताएं वहां मिली है, उन सफलताओं को उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में भी अमल में लाना है। प्रति पशु दूध उत्पादन में गुजरात में औसतन उत्पादकता 22% अधिक है और उत्तर प्रदेश में इसे आसानी से बढ़ा पाना संभव होगा। इस मुद्दे पर बनास ने बहुआयामी प्रयास किए हैं। एंब्रियो ट्रांसफर (ET) टेक्नोलॉजी दूध उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए दरसल नस्ल सुधार पर ध्यान देना होगा। बनास डेरी ने 7 गांवों में कृत्रिम गर्भाधान (AI) विधि की सुविधा शुरू की है। बनास डेरी ने हाल ही में BBBRC (बनास बोवाइन ब्रीडिंग एंड रिसर्च सेंटर) का शिलान्यास किया है जो बनास डेरी का बोवाइन प्रजनन और अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र है।

बनास डेरी BBBRC से गंगातीरी, लाल साहीवाल और लाल सिंधी के लिए भ्रूण तैयार करेगी जो भ्रूण स्थानांतरण के लिए प्रयोग होंगे। बनास डेरी ने किसानों के घर तक ET तकनीक से भ्रूण स्थानांतरण के लिए 112 किसानों के 164 पशुओं को चुना है जो वाराणसी जिले के  आराजिलाइन तथा शेवपुरी ब्लॉक के 33 गावों से हैं।नस्ल सुधार के लिए गिर गायों की सौगातकिसानों और गोपालकों के बीच 150 उच्च गुणवत्ता वाली गिर गाएं, 150 किसानों को दी गईं थीं। यह किसान वाराणसी के आराजिलाइन, शेवपुरी, काशीविद्यापीठ और पिंडारा ब्लॉक के 55 गांवों के हैं। इससे नस्ल सुधार कार्यक्रम को शीघ्रता से कार्यान्वयन में लाया जा सकेगा।

किसानों को प्रशिक्षण जागरूकता और पशुपालन ज्ञान गोपालकों में विकसित करने के लिए पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों को बनासकांठा के पालनपुर में बुलाकर 6 दिवसीय तालीम और फील्ड प्रशिक्षण दिया गया था। बनास डेरी अपने साथ जुड़े सभी 250 गांव में AI सेवाएं देने के लिए AI कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी कर रही है। वाराणसी और मिर्जापुर जिलों के आराजीलाइन, सेवापुरी और काशी विद्यापीठ ब्लॉक के 22 गांवों में से 22 AI कार्यकर्ताओं को चुना गया है, जिन्हें विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के बाद यह कर्मी प्रारंभिक उपचार, टीकाकरण और कृमि मुक्ति कर जैसे उपचार आसानी से कर पाएंगे।

वेटरनरी सेवाएं – वाराणसी के मोहन सराय में वेटरिनरी सेंटर शुरू किया गया है। इस केंद्र से अब तक 400 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा चुका है और शीघ्र ही इस केंद्र से 1200 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा सकेगा। पशु चिकित्सा सेवाएं 241 गांवों में शुरू की गई है और यह पशु चिकित्सक प्रतिमास अपने निर्धारित गांवों का दौरा करेंगे और रूट सिस्टम के माध्यम से किसानों से भी जुड़े रहेंगे।

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पशुपालन के लिए ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान बनास डेरी किसानों के लिए जागरूकता अभियान और बैठकें करेगी जिसमें निम्नलिखित बातें शामिल की जाएंगी:• वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन की पद्धति का प्रशिक्षण• चारे की मात्रा, गुणवत्ता, चारे का प्रकार (हरा चारा और सूखा चारा) के बैलेंस का ज्ञान• पशु आहार के प्रकार का प्रशिक्षण• पशु के दूध में फैट और SNF बढ़ाने का तरीका• निर्धारित टीकाकरण के साथ पशु रोग की रोकथाम का अभ्यास• एथनोवेट का ज्ञान और दूध में एंटीबायोटिक अवशेषों को न्यूनतम करना• कृमि मुक्ति कार्यक्रम और दवाओं की आपूर्ति• राज्य और केंद्र सरकार की सहायक योजनाओं के बारे में जागरूकता 

वाराणसी के आराजी फार्म में यूपी पशु विकास बोर्ड (UPLDB) के साथ सहयोग बनास डेरी ने आराजी फार्म, वाराणसी में 33 गायों में भ्रूण स्थानांतरण किया है। इसमें 23% की दर से सफलता मिली है और इनमें से 11 बछड़े पैदा हुए हैं। इनमें 10 मादा मवेशी और एक नर मवेशी है। हम आराजी फार्म में यूपी पशु विकास बोर्ड (UPLDB) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें हम स्थानीय ब्रीड्स के संरक्षण और विकास पर काम कर रहे हैं।

इसके अलावा, हम पशुओं के लिए कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण और पशुचिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जैसे कि बाँझपन शिविर, डीवर्मिंग, टीकाकरण इत्यादि। यह एक सामूहिक प्रयास है, ताकि हम स्थानीय ब्रीड्स को संजीवनी दे सकें।बनास डेरी विकास की राह पर आगे बढ़ने के लिए पूर्वांचल के दुग्ध उत्पादकों का हाथ थाम रही है। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन मे आरंभ हुआ यह प्रयास सहकार की भावना से पशुपालन और गोवर्धन मे क्रांति लाने का प्रयत्न है, जिससे कि पूर्वांचल के दुग्ध उत्पादक भी आत्मनिर्भर बनें।

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