अपराध
फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, निर्वाचन कार्ड आदि बनाकर लोन दिलाने व ई.एम.आई. पर इलेक्ट्रानिक सामान दिलाने वाले साइबर गैंग के 05 सदस्य गिरफ्तार
वाराणसी: आवेदक राजकुमार पुत्र स्व. छेदी लाल निवासी म.नं. 19/96, दनियालपुर चमार बस्ती), थाना- सारनाथ, वाराणसी उ0प्र0, द्वारा साइबर क्राइम पुलिस थाना वाराणसी पर सूचना दी गयी कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा आधार कार्ड व पैन कार्ड को कम्प्यूटर के माध्यम से छेड़छाड़ करके कर कूटरचना करके धोखे से आवेदक के जानकारी के बिना कूटरचित आवेदक के नाम के फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड दूसरे किसी का फोटो लगाकर व बैंक खाता नं. का प्रयोगकर, आनलाइन किस्त पर एक महंगी सैमसंग कंपनी का मोबाइल जिसकी कीमत लगभग 45000/- रूपये है, खरीदे गया है जिसके बाद किस्त जमा नहीं होने पर सैमसंग कंपनी के कर्मचारीगण द्वारा तगादा किया जा रहा है जिससे में काफी परेशान हूं, जिस पर साइबर क्राइम थाना जाचोपरान्त पर मु0अ0सं0- 0003/2022 धारा 420, 467, 468, 471 भादवि व 66 आईटी एक्ट पंजीकृत कर विवेचना प्रारम्भ की गयी।
उपरोक्त प्रकरण में अपर पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम लखनऊ, पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम लखनऊ, पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी परिक्षेत्र वाराणसी के. सत्यनारायणा, क्षेत्राधिकारी साइवर क्राइम अविनाश चन्द्र सिन्हा द्वारा साक्ष्य संकलन/अनावरण एवं गिरफ्तारी हेतु निर्देशित किया गया था जिसके अनुपालन में संकलित साक्ष्यों के आधार पर सर्वप्रथम सुजीत कुमार यादव संलिप्तता प्रमाणित हुई। जिसके बाद काफी प्रयास के बाद आनंद गुप्ता, धर्मेन्द्र यादव शिवानंद उर्फ मोनू उर्फ शिवम, अभिषेक यादव उर्फ ऋषि यादव की संलिप्तता प्रमाणित होने पर अभियुक्तगण उपरोक्त को गिरफ्तार कर लिया गया। विवेचनात्मक कार्यवाही पूरी कर उपरोक्त अभियुक्तगण का चालान माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया जा रहा है।
अपराध का तरीका:-
अभियुक्तगणों द्वारा बताया गया कि हमलोग माइक्रो फाइनेन्स कम्पनी व शेयर मार्केट से जुडे है जिसमें आनंद गुप्ता ने अताया कि मैं फ्यूजन माइक्रो फाइनेन्स कम्पनी पाण्डेयपुर में वर्ष 2021 से नौकरी करता हूँ, मै व मेरे साथी गांव गांव घूम कर लोगो से फाइनेन्स सम्बन्धित पैसा व लोन कराने का काम करते है, जिसके लिए हम लोग उन लोगो का आधार कार्ड पैन कार्ड फोटो आदि व बैंक के विवरण आदि ले लेते हैं तथा मे धर्मेन्द्र यादव के गांव में फ्यूजन माइक्रो फाइनेन्स का काम धर्मेन्द्र के सहयोग से करता हूँ तथा धर्मेन्द्र के माध्यम से अभिषेक उर्फ ऋषि यादव व सुजीत यादव से परिचय हुआ था, अभिषेक उर्फ ऋषि यादव भी माइक्रो फाइनेंस कंपनी में काम कर चुका है और शिवानन्द से में 2020 जब बदलापुर जौनपुर में भारत फाइनेंस में जाय करता था, तो उसी दौरान वाराणसी कैंट स्टेशन के पास उससे मुलाकात परिचय हुआ था हम सभी लोग अपनी-अपनी मोबाइल के माध्यम से डाटा कलेक्शन से प्राप्त डाकूमेंट को एक दूसरे से आपस में आदान-प्रदान करते थे और शिवाकान्त जो कम्प्यूटर का अच्छा जानकार है तथा कम्प्यूटर के दुकान पर काम भी करता है, के माध्यम से कूटरचना करके दस्तावेजों को फर्जी रूप से मैनूपुलेट कर
प्राप्त कर लेते थे और उसके माध्यम के फर्जी नाम व पता पर विभिन्न लोन कंपनियों से लोन लेने का काम व मोबाइल, इलेट्रानिक सामान ई.एम.आई. पर लेते थे, इसी तरह से हमलोगों ने राजकुमार के आधार कार्ड व पैन कार्ड को कम्प्यूटर के माध्यम से छेड़छाड़ करके कर कूटरचना करके धोखे से आवेदक के जानकारी के बिना कूटरचित राजकुमार के नाम के फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड पर सुजीत कुमार का फोटो लगाकर व राजकुमार के बैंक खाता नं. का प्रयोगकर, आनलाइन किस्त पर एक महंगी सैमसंग कंपनी का मोबाइल जिसकी कीमत लगभग 45000/- रूपये व एक अदद इन्टेक्स का होम थियेटर कीमती 8499 रुपये का राजकुमार नाम पते के फर्जी डाक्यूमेन्ट पर फाइनेन्स कराया गया था, तथा इंटेक्स का होम थियेटर हम लोग वापस जाते समय आजमगढ़ वाराणसी रोड गोटा सीवेज प्लांट के पास एक ट्रक वाले से वार्ता कर 4500 रुपये में बेच दिया था। उपरोक्त मोबाइल का प्रयोग सुजीत कुमार द्वारा किया जा रहा था।
अभियुक्तगण द्वारा बाताय गया कि जब हमलोग फर्जी कागजात के माध्यम से लोन दिला देते चूंकि कई कंपनिया छोटे छोटे लोन केवल आधार कार्ड पर दे देते है और किस्त नहीं भरने के कारण जब कंपनी वाले आधार कार्ड के पते जाते है तो वहां कोई नही मिलता, इसी तरह से इलेक्ट्रानिक सामान फर्जी कागजात पर ई.एम.आई. किस्त पर दिलाया जाता है तो कंपनी वाले वाले आधार कार्ड के पते जाते है तो वहां कोई नहीं मिलता और इस तरह से हमलोगों का धंधा चलता है। इस केस में हमलोग एक गलती राजकुमार का बैंक खाता विवरण देकर कर दिया था जिसमें समसंग कंपनी पहले आधार कार्ड के फर्जी पते पर गया, वहां कोई नही मिलने पर बैंक खाता नं. धारक के पास चले है, जिन्होने साइबर थाना पर मुकदमा लिखवा दिया और साइबर थाना द्वारा तकनीकी का प्रयोग करते हुए हमारे तक पहुंच गये. चूंकि हमलोगों को जानकारी हो गयी थी कि साइबर थाना की पुलिस हमलोगों को खोज रही है इसलिए हमलोग कही दूर भागने के फिराक में थे कि पकड़ लिये गये।
