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वाराणसी

पाँच साल में बच्चों में ब्लड कैंसर के मामले बढ़े, डॉक्टरों ने चेताया

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हर साल 200 कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा रहा है। तीन साल पहले यह संख्या 150 थी। हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले पाँच साल में बच्चों में ब्लड कैंसर के मामले 60 फीसदी तक बढ़ गए हैं।

बीएचयू के बाल रोग विभाग में हर महीने औसतन 20 नए बच्चों में कैंसर की पुष्टि होती है, जिनमें से 10 ब्लड कैंसर से ग्रसित होते हैं। बाकी मामलों में ब्रेन ट्यूमर, गले, आंत, फेफड़े और आँख के कैंसर शामिल हैं।

बच्चों में बढ़ रहे ब्लड कैंसर के मामले

डॉक्टरों का कहना है कि हर महीने ब्लड कैंसर के 10 नए मरीज सामने आ रहे हैं, जिनकी उम्र पाँच से 12 साल के बीच है। पाँच साल पहले यह संख्या चार बच्चों तक ही सीमित थी। प्रो. विनीता गुप्ता के मुताबिक, बच्चों के कैंसर का इलाज बीएचयू के बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर में किया जाता है। हर बुधवार और शनिवार को विशेष क्लीनिक भी चलाई जाती हैं।

काशी के निजी अस्पतालों में भी हर महीने करीब 25 बच्चे ब्लड कैंसर के इलाज के लिए पहुँच रहे हैं। होमी भाभा कैंसर अस्पताल के बाल रोग विभाग में भी देश और प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बच्चे इलाज के लिए आते हैं।

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फतेहपुर के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली दस वर्षीय बच्ची को कमजोरी और बुखार की शिकायत पर भर्ती कराया गया। सीबीसी जांच में उसका टीएलसी 1.55 लाख पाया गया और आगे की जांच में ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई।

बीएचयू बाल रोग विभाग के प्रो. सुनील राव का कहना है कि ओपीडी में जिन बच्चों में कैंसर के लक्षण दिखते हैं, उन्हें स्पेशल क्लीनिक में भेजा जाता है। वर्तमान में कैंसर पीड़ित बच्चों में 60 फीसदी ब्लड कैंसर के मरीज हैं।

भारतीय बाल अकादमी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अशोक राय के अनुसार, मिलावटी खाद्य सामग्री का सेवन बच्चों में ब्लड कैंसर बढ़ने का बड़ा कारण है। बच्चों का बाजारू खान-पान और खाद्य पदार्थों में रासायनिक तत्व की मिलावट गंभीर नुकसान पहुँचा रही है।

प्रो. विनीता गुप्ता ने बताया कि इलाज में सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएँ सहयोग कर रही हैं। जागरूकता बढ़ने से लोग बच्चों की समय पर जांच करा रहे हैं, जिससे इलाज की संभावना भी बढ़ जाती है।

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