चन्दौली
पत्रकार राकेश चन्द्र यादव के असामयिक निधन से मीडिया जगत में शोक

वाराणसी के बीएचयू में इलाज के दौरान उन्होंने ली अंतिम सांस
चंदौली। पत्रकारिता जगत में अलग पहचान बनाने वाले, व्यवहार कुशल, मृदुभाषी वरिष्ठ पत्रकार राकेश चन्द्र यादव के असामयिक निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई। पत्रकार राकेश चन्द्र यादव विगत कई दिनों से बीमार चल रहे थे। मंगलवार की प्रातःकाल बीएचयू वाराणसी में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
बताते चलें कि जनपद चंदौली में पत्रकारिता में समर्पण एवं निष्ठा के भाव से कार्य करने वाले वरिष्ठ पत्रकार राकेश चन्द्र यादव अब हम लोगों के बीच नहीं रहे। उन्होंने मंगलवार की भोर में वाराणसी के बीएचयू में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर चंदौली पहुंचते ही पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, उनके शुभचिंतकों, ग्रामीणों के साथ ही प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े उनके साथियों ने उनके पैतृक गांव जसौली पहुंचकर उनका अंतिम दर्शन किया और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। इस दौरान चंदौली का पूरा पत्रकारिता जगत शोकाकुल रहा।
उनके निधन से न केवल पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है, बल्कि उनके शुभचिंतकों व कई जनप्रतिनिधियों ने इसे निजी क्षति भी बताया और विभिन्न माध्यमों से शोक संवेदना व्यक्त की। ज्ञात हो कि राकेश चन्द्र यादव वर्ष 2003 में पत्रकारिता पेशे से जुड़े। इस दौरान उन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों को अपनी सेवाएं प्रदान कीं। उनकी निर्विवाद छवि और पत्रकारिता के प्रति उनका समर्पण व उनकी सादगी ने सभी को अपना कायल बनाया।
लगभग दो दशक तक चंदौली में पत्रकारिता को अपनी सेवाएं प्रदान करने वाले राकेश चन्द्र यादव ने अपने जीवनकाल में तमाम सामाजिक दायित्वों का भी बखूबी निर्वहन किया। अपनी लेखनी से कई सकारात्मक परिवर्तन व बदलाव के भी साक्षी बने। यही वजह रही कि पत्रकारिता के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी उनकी लोकप्रियता व लोगों से उनका जुड़ाव काफी गहरा रहा।
विगत कुछ दिनों पूर्व उनकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज चंदौली में भर्ती कराया गया। शुरुआती जांच में किडनी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं सामने आईं, लेकिन उनकी तबीयत निरंतर बिगड़ती चली गई। इस बीच उन्हें सोमवार की भोर में बेहतर उपचार के लिए बीएचयू भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने मंगलवार की अलसुबह अंतिम सांस ली।
उनके निधन से परिजनों में कोहराम मच गया और घर की महिलाएं व बच्चे दहाड़े मारकर रोने लगे। वह अपने परिवार के इकलौते आजीविका चलाने वाले सदस्य थे। वह अपने पीछे बुजुर्ग पिता के साथ ही पत्नी, पांच बेटियों व एक बेटे को छोड़ गए। उनके निधन से जहां पत्रकारिता जगत के लोग स्तब्ध थे, वहीं उनसे लगाव व जुड़ाव रखने वाले लोगों के लिए भी यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी। लोगों ने उनके पैतृक गांव जसौली पहुंचकर नम आंखों से अंतिम दर्शन किए और अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें विदा किया।
इस मौके पर सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव, पूर्व सांसद रामकिशुन, सपा प्रवक्ता मनोज सिंह काका, सपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर, बसपा जिलाध्यक्ष घनश्याम प्रधान, झनमेजय सिंह, रमेश यादव, डॉ. शैलेश श्रीवास्तव, अखण्ड प्रताप सिंह, कांग्रेस नेता प्रदीप मिश्रा, दिलीप पासवान, तिलकधारी बिंद, अमित सोनकर, संतोष यादव, कृष्णा यादव काजू, वंशराज पासवान, शेखर पासवान, पंकज मिश्रा, हरिश्चन्द्र अग्रहरि, गोविंद यादव, अब्दुल समद, अर्जुन अग्रहरि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।