वाराणसी
पंडित नेहरू की पुण्यतिथि पर वक्ताओं ने कहा— “आज भी प्रासंगिक हैं उनके विचार”

वाराणसी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को अंग्रेजी लाइन स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन कार्यालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने शिरकत कर नेहरू जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि पंडित नेहरू के योगदान की छाया आज भी भारत की प्रगति में परिलक्षित होती है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के नेतृत्व में भाग लेते हुए कई बार जेल की यातनाएं सहीं और आज़ादी के बाद राष्ट्र निर्माण में अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया। विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, संस्कृति और लोकतंत्र की मजबूत नींव रखकर उन्होंने भारत को वैश्विक पटल पर आत्मनिर्भर और प्रतिष्ठित राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश सिंचाई आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता पंडित विजय शंकर पाण्डेय ने की, जबकि संचालन फाउंडेशन के सचिव बैजनाथ सिंह ने किया।
वक्ताओं ने दो टूक कहा कि तुच्छ मानसिकता वाले लोग चाहे जितना भी नेहरू जी की आलोचना करें, उनकी विराट छवि के समक्ष वे कभी टिक नहीं सकते। कुछ अदूरदर्शी और अहंकारी राजनेता आज उनके आदर्शों के आसपास भी नहीं पहुंच पाए हैं, फिर भी निंदा करके स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो इतिहास के साथ अन्याय है।
इस अवसर पर डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय, भूपेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. पी.एस. पांडेय, राधे लाल एडवोकेट, विजय कृष्ण राय अन्नू, प्रभुनाथ पांडेय एडवोकेट, आनंद सिंह, वैभव त्रिपाठी, डॉ. संजय चौहान, पंकज मिश्रा एडवोकेट, अशोक कुमार पांडेय, मोहम्मद अरशद, युवराज पांडेय, पिन्टू शेख, पुनीत मिश्रा, महेंद्र सिंह चौहान, राधेश्याम सिंह, ब्रह्मदेव मिश्रा, आनंद मिश्रा, सुबाष राम, कमलाकांत पांडेय सहित अनेक गणमान्यजनों ने अपने विचार रखे और पंडित नेहरू को युगों तक स्मरणीय बताया।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि नेहरू जी की दूरदर्शिता, मानवीय मूल्यों और लोकतांत्रिक सोच को आने वाली पीढ़ियां कभी नहीं भूलेंगी। उनका जीवन आने वाले भारत के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।