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वाराणसी

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर महिला सशक्तिकरण सत्र का शुभारंभ

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वाराणसी (जयदेश)। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर विशाल भारत संस्थान द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सुभाष महोत्सव के दूसरे दिन महिला सशक्तिकरण एवं स्त्री गाथा सत्र का शुभारंभ असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने लमही के सुभाष मंदिर में पुष्प अर्पित कर और मशाल जलाकर किया।

राज्यपाल के सुभाष भवन पहुंचने पर महिलाओं ने पुष्प वर्षा की और भावुकता से उनका स्वागत किया। नेताजी के ऐतिहासिक वक्तव्य “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” को केवल पुरुषों के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी प्रेरणा माना गया। 1943 में नेताजी द्वारा स्थापित रानी झांसी रेजिमेंट ने महिलाओं की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया।

नेताजी का मानना था कि महिलाएं न केवल स्वतंत्रता संग्राम में बल्कि समाज निर्माण में भी पुरुषों के बराबर हैं। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

बाल आजाद हिंद बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी ने राज्यपाल को सलामी दी और माहौल को नेताजी के देशभक्ति विचारों से जीवंत कर दिया। “जय हिंद” और “जय सुभाष” के नारों ने सभागार में जोश भर दिया। राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि महिलाएं साहस और शौर्य के माध्यम से समाज और राष्ट्र को मजबूत बनाने में सक्षम हैं। अगर देश सुभाष के विचारों पर चलता तो घरेलू हिंसा, यौन शोषण और कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याओं का समाधान हो चुका होता।

विशाल भारत संस्थान ने राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य को “मानवता के नायक” की उपाधि दी। महंत बालक दास ने शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर नेहा सिंह और डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने सम्मान पत्र भी सौंपा।

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कार्यक्रम में न्यायाधीश नेहा सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाष ने महिलाओं पर भरोसा करते हुए उन्हें आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दिया। महिलाओं को अपनी शक्ति पहचानने की आवश्यकता है क्योंकि वे जन्म से ही शक्तिशाली होती हैं।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि आजादी के लिए महिलाओं को सैन्य ताकत के माध्यम से सशक्त बनाने का श्रेय नेताजी को जाता है। उनके नेतृत्व में बनी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट ने दुनिया को दिखा दिया कि महिलाएं हर क्षेत्र में समान रूप से सक्षम हैं।

महंत बालक दास ने नेताजी के जीवन को भारतीय समाज को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अर्चना भारतवंशी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नजमा परवीन ने दिया। इस अवसर पर सैकड़ों महिलाएं और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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