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देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में आज शपथ लेंगे रामकृष्ण गवई

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नई दिल्ली। देश की न्यायपालिका में आज एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने वाला है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। वह भारत के पहले बौद्ध और अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश बने हैं।

न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल 14 मई 2025 से प्रारंभ होकर 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। उनकी नियुक्ति की सिफारिश पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने की थी, जिनका कार्यकाल 13 मई को समाप्त हुआ।

संविधान पीठ के महत्वपूर्ण निर्णयों का हिस्सा

जस्टिस गवई ने अपने न्यायिक जीवन में कई महत्वपूर्ण एवं संवैधानिक मामलों में निर्णायक भूमिका निभाई है। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी की और दिशानिर्देश जारी किए। इसके अतिरिक्त, धारा 370 हटाने के फैसले को वैध ठहराना, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताना, नोटबंदी को सही ठहराना, ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक, और तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत देने जैसे महत्वपूर्ण मामलों में भी उन्होंने अपना निर्णय दिया।

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न्यायिक यात्रा और योगदान

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत शुरू की और 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। 1992–93 में सरकारी वकील बने और 2000 में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किए गए।

14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने और 2005 में स्थायी जज का पदभार संभाला। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

700 से अधिक बेंचों का हिस्सा

सुप्रीम कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, जस्टिस गवई पिछले छह वर्षों में 700 से अधिक बेंचों का हिस्सा रहे हैं और लगभग 300 फैसलों के लेखक भी। उनके निर्णय संविधान, नागरिक, आपराधिक, वाणिज्यिक, पर्यावरण, शिक्षा तथा मध्यस्थता कानून जैसे विविध विषयों से जुड़े रहे हैं।

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