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मिर्ज़ापुर

त्रिवेणी संस्था ने शिक्षकों को किया सम्मानित, काव्य गोष्ठी में गूंजे भावपूर्ण स्वर

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मिर्जापुर। सिटी लान, बरियाघाट में रविवार को त्रिवेणी संस्था द्वारा नगर के दो वरिष्ठ शिक्षकों—कैलाश नाथ त्रिपाठी (पूर्व विभागाध्यक्ष, गणित, केबीपीजी कॉलेज) और मोहनलाल आर्य (पूर्व प्रधानाचार्य, बीएलजे इंटर कॉलेज)—का सम्मान किया गया। इस गरिमामयी अवसर पर एक भावपूर्ण काव्य गोष्ठी भी आयोजित हुई, जिसमें शहर के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया।

गोष्ठी का शुभारंभ रवींद्र कुमार पांडेय सरल की सरस्वती वंदना और वरिष्ठ पत्रकार सलिल पांडेय की गणेश वंदना से हुआ। संयोजक केदारनाथ सविता ने अपने मार्मिक शब्दों में कहा—”अच्छा है हम न करें किसी तरह के वादे, तुम्हारा और मेरा साथ बस मोड़ के आने तक है।” वहीं, वरिष्ठ कवि भोलानाथ कुशवाहा ने अपनी ग़ज़ल “ग़ज़ल मुस्कुराओ तो कुछ बात बने, कभी अकेले आओ तो कुछ बात बने” से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुहिब मिर्जापुरी ने जीवन के संघर्ष को उकेरते हुए पढ़ा—”जाने क्या मंज़िल ब मंज़िल ढूंढती है ज़िंदगी, हादसों की रहगुज़र पर चल रही है ज़िंदगी।” वहीं, सलिल पांडेय की व्यंग्यात्मक कविता “देखो जी, मुझे चिढ़ाया न करो” ने हास्य और व्यंग्य का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत किया। लालब्रत सिंह सुगम के दोहे—”युवा जुनूनी क्यों बना, नित करता जो खून”—ने समाज को विचार करने पर मजबूर कर दिया।

डॉ. उषा कनक पाठक ने अपने मधुर गीत “जिस दीपक को ढूंढ रही थी, अनायास वह मिला मार्ग में” से माहौल को रससिक्त किया। खुर्शीद भारती ने देशप्रेम की भावना को जीवंत करते हुए पढ़ा—”अपनी सरहद की निगरानी भी करनी है मुझे, मैं तेरी मांग सजाऊंगा चला जाऊंगा।”

अनिल यादव की उम्दा पंक्तियां—”अपनी तनहाइयों के निशान मिटाने चला हूं, रंग और गुलाब इस मौसम में उड़ाने चला हूं”—ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। नंदिनी वर्मा ने अपनी मधुर आवाज़ में सुनाया—”हम अकेले चल दिए, सब रह गए पीछे हमारे।” वहीं, श्याम अचल ने अपने काव्य पाठ में कहा—”ये राम नाम तो सभी मंत्रों का मूल है।”

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सारिका चौरसिया की पंक्तियां—”यूँ ही कोई जंगल बियावान और शहर वीरान नहीं होता एक दिन में”—ने गहरी संवेदनाओं को छुआ। आनंद अमित ने अपने गीत—”वो गीत तुम्हारे वसंत के फूल बनकर खिलेंगे”—से श्रोताओं को भावनाओं के सागर में डुबो दिया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि भोलानाथ कुशवाहा ने की, जबकि संचालन अरविंद अवस्थी ने किया। अंत में संस्था के संयोजक केदारनाथ सविता ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के समापन से पूर्व त्रिवेणी संस्था के पूर्व सदस्य गुलाब चंद तिवारी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। संस्था के अध्यक्ष रवींद्र कुमार पांडेय के हाथों सभी कवियों को प्रशस्ति पत्र वितरित किए गए।

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