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गोरखपुर

डॉ. अखिलेश को सर्वोत्कृष्ट शोध पत्र के लिए मिला सम्मान

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कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा और प्रो. विशाखा शुक्ला ने किया सम्मानित

गोरखपुर। सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय (सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से सम्बद्ध) के प्रवक्ता (साहित्य) डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र ने अपनी शैक्षणिक प्रतिभा और अनुसंधान दक्षता का परचम लहराते हुए विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है।

गोरखपुर के गोला तहसील क्षेत्र के पतरा गांव निवासी एवं सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय (सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से सम्बद्ध) के प्रवक्ता (साहित्य) डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र ने अपनी शैक्षणिक प्रतिभा और अनुसंधान दक्षता का परचम लहराते हुए विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है। विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 चुनौतियां एवं संभावनाएं विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. मिश्र को सर्वोत्कृष्ट शोध पत्र प्रस्तुतिकरण के लिए प्रशस्ति पत्र, प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

यह सम्मान सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा तथा संगोष्ठी की संयोजक एवं बी.एड. विभागाध्यक्ष प्रो. विशाखा शुक्ला ने संयुक्त रूप से प्रदान किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए यह गौरव का क्षण है जब उसके प्रतिभावान शिक्षक अपनी विद्वता के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं। उन्होंने डॉ. अखिलेश की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी प्रतिभाएं न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बढ़ाती हैं, बल्कि नई पीढ़ी के शिक्षार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बनती हैं।

कुलपति ने आगे कहा कि जीवन में आने वाली चुनौतियों से भयभीत हुए बिना लगातार प्रयास करना ही सफलता का मूल मंत्र है। उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार से आग्रह किया कि आगामी दीक्षान्त समारोह में भी सभी शिक्षक और विद्यार्थी उत्साहपूर्वक भाग लेकर विश्वविद्यालय की गरिमा को और ऊँचाइयों तक पहुँचाएं।

डॉ. अखिलेश मिश्र के इस सम्मान से गोला क्षेत्र सहित सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार में हर्ष की लहर दौड़ गई है। इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. हीरक कांत चक्रवर्ती, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेश मिश्र, अधीक्षक उपेन्द्र द्विवेदी सहित अनेक शिक्षकों ने उन्हें बधाई दी और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

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डॉ. अखिलेश ने सम्मान प्राप्त करने के उपरांत कहा कि यह उपलब्धि उनके गुरुजनों और संस्थान के सहयोग का परिणाम है। उन्होंने कहा कि वे संस्कृत भाषा और साहित्य के विकास तथा शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में निरंतर योगदान देते रहेंगे। उनके इस समर्पण भाव ने न केवल महाविद्यालय, बल्कि पूरे गोरखपुर जिले को गौरवान्वित किया है।

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