वाराणसी
ज्ञानवापी मामला : लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की तरफ से दाखिल वाद पर मसाजिद कमेटी ने जताई आपत्ति
वाराणसी। सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में 1991 के लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की तरफ से दाखिल मूल वाद की सुनवाई गुरुवार को हुई। ज्ञानवापी परिसर में बचे अन्य हिस्सों का एएसआई से रडार तकनीक से सुरंग बनाकर सर्वे कराने के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से दलील पेश की गई थी। मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया कि ज्ञानवापी के जिस हिस्से में फव्वारा हैं उसे हिंदू पक्ष शिवलिंग कहता है। उसे सुरक्षित व संरक्षित रखने की बात कही है।
ऐसे में वहां सर्वे नहीं किया जा सकता। साथ ही देश की आजादी के समय जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे उसी स्वरूप में रहना चाहिए। फिलहाल मसाजिद कमेटी की तरफ से सर्वे न किए जाने के लिए दलील जारी है। अब मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी। आपको बता दें कि इस वाद में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की तरफ से सर्वे कराए जाने के पक्ष में उनके वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी पहले ही पक्ष रख चुके हैं।सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में ज्योतिर्लिंग को आदि विश्वेश्वर की वाद मित्र अनुष्का तिवारी व इंदू तिवारी की तरफ से दाखिल वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से आपत्ति दाखिल की गई है।
इस पर अब 23 सितंबर को सुनवाई होगी। इस वाद में ज्ञानवापी परिसर स्थित आराजी का मालिकाना हक बाबा विश्वनाथ के पक्ष में घोषित करने की गई है। इसके अलावा ज्ञानवापी में केंद्र व राज्य सरकार को भव्य मंदिर के निर्माण में सहयोग करने और वर्ष 1993 से की गई अवैध बैरिकेडिंग हटाने की मांग की गई है।