गोरखपुर
गोरखपुर से बंगाल तक फैला फर्जी पासपोर्ट गिरोह, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट
अपराधियों के ‘डबल पहचान’ खेल ने हिलाया सिस्टम, बड़ा नेटवर्क बेनकाब होने की आशंका
गोरखपुर में लगातार सामने आ रहे दोहरी पहचान पर पासपोर्ट बनवाने के मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। मामले को गंभीर मानते हुए डीआइजी डॉ. एस. चनप्पा ने पूरे गोरखपुर रेंज में विस्तृत जांच के निर्देश जारी किए हैं। उनका कहना है कि यह सामान्य गड़बड़ी नहीं, बल्कि किसी संगठित नेटवर्क की ओर संकेत है।
पुलिस ने पासपोर्ट जालसाजी से संबंधित पुरानी फाइलें, डिजिटल रिकार्ड, आवेदन पत्र, सत्यापन रिपोर्ट और काउंटर फाइलों को नए सिरे से खंगालने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में आशंका जताई गई है कि गोरखपुर और पश्चिम बंगाल के बीच कोई सक्रिय चैनल अपराधियों को दूसरी पहचान दिलाकर पासपोर्ट जारी कराने में मदद कर रहा है।
बड़हलगंज का मामला बना पहला बड़ा सुराग
बड़हलगंज क्षेत्र के रजौली गांव निवासी जिला बदर अपराधी रामेश्वर यादव ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पहले लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय से अपने वास्तविक पते पर पासपोर्ट बनवाया। इसके बाद उसने अपनी पहचान बदलकर पश्चिम बंगाल के नार्थ 24 परगना जिले के दमदम क्षेत्र के पते पर दूसरा पासपोर्ट बनवा लिया। यह दूसरा पासपोर्ट 1 दिसंबर 2024 को जारी हुआ।
मामले के एडीजी मुथा अशोक जैन तक पहुंचते ही कार्रवाई तेज हुई। बड़हलगंज पुलिस ने फर्जी दस्तावेज और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर रामेश्वर यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच में यह भी सामने आया कि उसने दूसरे पासपोर्ट के लिए बंगाल में सक्रिय बिचौलियों की मदद ली थी, जो अब जांच का केंद्र है।
36 मामले दर्ज, अलग-अलग घटनाएं नहीं माना जा सकता
डीआइजी ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि पिछले वर्षों में जारी ऐसे सभी पासपोर्टों की काउंटर फाइलें जांची जाएं, जिनमें पहचान या पते पर संदेह दर्ज हो। सत्यापन रिपोर्ट तैयार करने वाले पुलिस कर्मियों, कर्मचारियों और बिचौलियों की सूची भी तैयार की जाएगी। गोरखपुर जनपद में ही अब तक 36 पासपोर्ट जालसाजी के मामले दर्ज हैं, जो इस नेटवर्क की संभावित गंभीरता को दर्शाते हैं।
आशीष ने ‘रामअशीष’ बनकर बनवाया दूसरा पासपोर्ट
सिकरीगंज के रोहारी गांव निवासी आशीष कुमार ने फर्जी तरीके से रामअशीष नाम से दूसरा पासपोर्ट बनवाया। दोनों पासपोर्टों में मतदाता पहचान पत्र अलग-अलग थे, लेकिन आधार नंबर एक ही होने से जालसाजी पकड़ी गई। दारोगा बैजनाथ बिंद की तहरीर पर 22 फरवरी 2025 को मुकदमा दर्ज हुआ। मंगलवार को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
डीआइजी चनप्पा का बयान
गोरखपुर रेंज के डीआईजी डाॅ. एस. चनप्पा, ने कहा कि, “दोहरी पहचान पर पासपोर्ट जारी होना सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा है। पूरे रेंज में सभी संदिग्ध फाइलों की नई सिरे से जांच होगी। यदि कोई संगठित नेटवर्क या संबंधित कर्मचारी इसमें शामिल पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फर्जी पासपोर्ट बनवाने में शामिल लोगों पर भी कार्रवाई तय है।”
