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गाजीपुर

“गृहस्थ आश्रम में रहकर थोड़ा समय भगवान के भजन के लिये भी निकालें” : संत पंकज महाराज

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नन्दगंज (गाजीपुर)। गृहस्थ आश्रम में रहकर सभी को थोड़ा सा समय भगवान के भजन के लिये भी निकालना जरूरी है। भगवान की भक्ति के लिये सबसे पहले मानवतावादी बनने के साथ ही अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें। नशा त्याग के साथ-साथ शाकाहारी बनें। यह उद्गार जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत पंकज जी महाराज ने गुरुवार को ग्राम रामशाला (मठिया) में आयोजित सत्संग समारोह में व्यक्त किया।

संत पंकज महाराज अपनी शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा के 83 पड़ावों में से चौदहवें पड़ाव पर पधारे थे। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि अबकी बार आपके जन्म-जन्मान्तरों के पुण्य से यह मानव तन मिला है, इसे व्यर्थ में न जाने दें। प्रभु की प्राप्ति करने वाले संत सतगुरु की तलाश करें। वह जो भजन रूपी प्रसाद दें, उसे लेकर अपना मानव जीवन सफल बनायें। इसी प्रयोजन के लिये दयालु ईश्वर ने अपने अजर-अमर देश से संतों को धरा पर भेजा है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के लोग सांसारिक विद्या को पढ़कर अहंकार में डूब जाते हैं कि उनके जैसा कोई नहीं है, लेकिन उन्हें यह बोध नहीं है कि दुनिया का ज्ञान जहाँ समाप्त हो जाता है, उसके शिखर से आध्यात्मिक ज्ञान प्रारम्भ होता है। आप जब बताई विधि से सुरत-शब्द-नाम योग की साधना करेंगे, तो आपकी आत्मा प्रभु के देश से आ रही आकाशवाणी को ग्रहण कर शरीर से बाहर होकर ऊपरी मंडलों में चली जायेगी, जैसे चिड़िया अपने घोंसले से निकलकर आसमानों का सफर करके अपने घोंसले में वापस आ जाती है।

उन्होंने लोगों को चेताते हुए कहा कि परमात्मा के बनाये मनुष्य शरीर में जो लोग मांस के टुकड़े और शराब आदि के कतरे डालते हैं, उनको इसकी कठोर सजा मिलेगी। इसलिए मांसाहार छोड़कर शाकाहारी बनना, नशों को त्यागना और चरित्र उत्थान समय की मांग है।

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संत महाराज ने कहा कि अच्छा समाज और रामराज्य तब आयेगा, जब आदमी-आदमी से प्रेम करने लगेगा, निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे की सेवा करने लगेगा। सभी में प्रेम, सत्य, दया, करुणा, उदारता तथा परोपकार के गुण पैदा हो जायेंगे। युग महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जी ने भविष्य में सतयुग आने की बात कह रखी है, इसलिए अच्छा समाज बनाने में आप सभी सहयोग करें।

इस अवसर पर इन्द्रदेव सिंह, शिवनारायण चौहान, जितेन्द्र यादव, अविनाश यादव, अमरदेव यादव, अंगद पाल, सुभाष यादव, बलवन्त यादव, सत्यनारायण यादव, प्रहलाद यादव, राजेश जी, राम अवध, राकेश, रामजीत सहित संस्था के कई पदाधिकारी एवं प्रबन्ध समिति के सदस्यगण मौजूद रहे।

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