गोरखपुर
गीडा सेक्टर-5 में ‘खाकी’ की खुली पोल: लेखपाल के घर ‘वक्त से पहले’ सेंध!
पुलिस की अक्षमता ने किया फोरेंसिक जाँच का कत्ल
गोरखपुर के गीडा सेक्टर-5 में हुई ताजा चोरी की वारदात ने न केवल अपराधियों के बुलंद हौसलों को दर्शाया है, बल्कि कानून-व्यवस्था के रक्षकों की खुली लापरवाही को भी बेनकाब कर दिया है। खजनी तहसील में कार्यरत लेखपाल श्याम कन्हैया का आवास अपराधियों ने दिनदहाड़े निशाना बनाया। घटना 30 नवंबर रविवार की है, जब लेखपाल परिवार सहित मात्र कुछ घंटों के लिए बाहर गए थे। वे लगभग 10 बजे के आसपास लौटे और मुख्य ताला टूटा पाया।

पुलिस की अक्षमता ने किया फोरेंसिक जाँच का कत्ल
चोरी की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची, लेकिन उनकी पहली कार्यवाही ही जाँच को बर्बाद करने वाली साबित हुई। परिवार और स्थानीय लोगों का साफ आरोप है कि पुलिस दल ने बिना किसी प्रोटोकॉल के मौके पर मौजूद ताला, दरवाजा और अलमारी समेत हर वस्तु को छूकर फोरेंसिक साक्ष्यों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। यह अक्षमता इतनी गंभीर है कि फोरेंसिक टीम को घटनास्थल पर कोई भी स्पष्ट फिंगरप्रिंट या सुराग नहीं मिल पाया। सवाल उठता है कि क्या पुलिस को घटनास्थल को सुरक्षित रखने का सामान्य प्रशिक्षण भी नहीं है? या जानबूझकर मामले को कमजोर करने की साजिश रची गई?

विकास क्षेत्र’ बना चोरों का स्वर्ग: जहाँ सारे कैमरे खराब हैं!
गीडा, जिसे उद्योग और विकास का क्षेत्र कहा जाता है, आज चोरों का स्वर्ग बन चुका है। क्षेत्र के सभी सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से खराब पाए गए, जिससे अपराधियों की पहचान के लिए वीडियो फुटेज मिलने की संभावना शून्य हो गई है। नागरिकों का आक्रोश जायज है: प्रशासन किस नींद में सोया है? सुरक्षा के लिए लाखों का बजट कहाँ जा रहा है? जब एक लेखपाल, जो स्वयं SIR जैसे आधिकारिक दायित्व में व्यस्त था, सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता की जान-माल की गारंटी कौन देगा?
घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस के हाथ पूरी तरह खाली हैं। न कोई संदिग्ध, न कोई गिरफ्तारी। यह स्थिति दर्शाती है कि पुलिस या तो इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है या उसके पास अपराधियों से निपटने की क्षमता ही नहीं है। जनता का स्पष्ट कहना है कि यदि प्रशासन और पुलिस ने जल्द ही कोई ठोस और परिणामकारी कार्यवाही नहीं की, तो चोरों के हौसले और बुलंद होंगे, और क्षेत्र के नागरिक सड़क पर उतरकर प्रशासन की लापरवाही का विरोध करने को मजबूर होंगे। यह मामला अब महज चोरी का नहीं, बल्कि प्रशासन की प्रतिष्ठा का बन चुका है।
