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मिर्ज़ापुर

गर्भवती महिलाओं को रेफर कर निजी अस्पताल भेजने का आरोप

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मंडलीय अस्पताल में सुविधाएं दिख रही हैं कागजी

मिर्जापुर। मंडलीय चिकित्सालय के मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध होने के बाद प्रदेश सरकार ने मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा किया था। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने की बात की गई थी, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आ रही है। अस्पताल के महिला चिकित्सालय में तैनात डॉक्टर प्रसव की स्थिति में महिलाओं को निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

आरोप है कि पैसे के लालच में सरकारी सुविधाओं को दरकिनार किया जा रहा है।यहां तक कि गंभीर स्थिति में भर्ती की जरूरत होने पर भी गर्भवती महिलाओं को ICU में रखने के बजाय निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। सरकार की ओर से उपलब्ध कराया गया सीटी स्कैन मशीन भी महज दो दिन ही चला, इसके बाद खराबी का हवाला देकर उसे बंद कर दिया गया।

इससे यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल में सरकारी योजनाओं और संसाधनों का लाभ मरीजों तक नहीं पहुंच रहा है।सरकार जहां प्रचार-प्रसार कर रही है कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त और बेहतर इलाज उपलब्ध है, वहीं डॉक्टर और कर्मचारी इन निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जब इस पूरे मामले की शिकायत प्राचार्य से करने की कोशिश की जाती है तो न वे मिलते हैं, न ही फोन उठाते हैं।

अधीनस्थ डॉक्टरों का कहना होता है कि वे व्यस्त हैं, लेकिन सवाल उठता है कि अगर उन्हें अपने ही स्टाफ से मिलने का समय नहीं है तो वे आम जनता की समस्याएं कैसे सुनेंगे?हाल ही में ब्लड बैंक के एक कर्मचारी को दो दिन तक दो-दो घंटे इंतजार करने के बाद भी उनसे मिलने का समय नहीं मिला। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को उजागर करती है, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की गंभीर तस्वीर भी पेश करती है।

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