वाराणसी
खूंखार कुत्तों ने एक महीने में 1600 लोगों को बनाया शिकार
38 हजार तक पहुंची कुत्तों की संख्या, बंध्याकरण की प्रक्रिया रुकी
वाराणसी में कुत्तों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले 30 दिनों में 1600 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काट लिया है, जिन्हें जिला और मंडलीय अस्पताल में रैबीज का इंजेक्शन लगाया गया है।
शहर में कुत्तों की संख्या अब 38 हजार तक पहुंच चुकी है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। समस्या की मुख्य वजह है कुत्तों के बंध्याकरण (नसबंदी) का काम पिछले सात महीने से ठप होना। नगर निगम द्वारा इस प्रक्रिया को रोकने का कारण टेंडर से संबंधित विवाद है।
पहले मानव गौरव निर्माण संस्थान नामक एनजीओ को बंध्याकरण का टेंडर दिया गया था, लेकिन उनकी अवधि 31 मार्च को समाप्त हो गई। इसके बाद से बंध्याकरण का काम पूरी तरह से ठप हो गया है, और अवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि हो रही है। निगम ने दो बार टेंडर निकाला था, लेकिन कोई भी संस्था आवेदन नहीं कर पाई। हाल ही में तीसरी बार टेंडर जारी किया गया, और भोपाल की एक संस्था ने इसे स्वीकार किया है। कार्य जल्द ही शुरू होने की संभावना है।
बंध्याकरण पर बंदिशें और पालतू कुत्तों का पंजीकरण
निगम के पशु कल्याण अधिकारी, डॉ. संतोष पाल के अनुसार, बंध्याकरण प्रक्रिया में रुकावट आने के कारण कुत्तों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि निगम अब लालपुर (मीरापुर बसहीं वार्ड) में एक एबीसी (एनीमल बर्थ कंट्रोल) केंद्र बना रहा है, जहां कुत्तों का बंध्याकरण किया जाएगा।
पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य
नए नियमों के तहत, पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकरण के लिए शुल्क 507 रुपये निर्धारित किया गया है और इसके लिए कुत्ते का फोटो, वैक्सीन कार्ड और आधार कार्ड जरूरी होगा। इससे कुत्तों की सही संख्या का आकलन संभव होगा।
कुत्तों के बंध्याकरण के बाद, जब तक वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते, उन्हें पुनः छोड़ने से पहले सुरक्षित रखना होगा। निगम द्वारा कुत्तों के लिए विशेष सुविधाओं वाली एबीसी सेंटर की योजना है, जिसमें कुत्तों के लिए हेयर स्टाइल, मैनिक्योर, पेडिक्योर जैसी सेवाएं भी उपलब्ध होंगी।