गोरखपुर
खजनी में शुरू हुई ऐतिहासिक रामलीला

सदियों से चल रही है परंपरा
गोरखपुर। खजनी तहसील के ग्राम सभा बसडीला बरी वनदुआरी में हर वर्ष की भांति इस बार भी रामलीला का भव्य आयोजन धूमधाम से शुरू हो गया है। 7 अक्टूबर 2025 से प्रारंभ हुई यह रामलीला न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि आसपास के दूर-दराज़ गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग इस दिव्य आयोजन को देखने पहुंचते हैं।
ग्राम सभा के बुजुर्गों ने बताया कि बसडीला बरी वनदुआरी की रामलीला का इतिहास शताब्दियों पुराना है। यह परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और भक्ति भाव से निभाई जा रही है जैसे वर्षों पहले की जाती थी। ग्रामीण बताते हैं कि यह आयोजन क्षेत्र की पहचान और गौरव का प्रतीक बन चुका है। यहां की रामलीला कमेटी ने सदैव धर्म, संस्कृति और लोक परंपरा को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रामलीला की शुरुआत हर वर्ष की तरह चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के दरबार से की जाती है, जहां पुत्रेष्टि यज्ञ के दृश्य से कथा का प्रारंभ होता है। इसके बाद क्रमवार मंचन में भगवान श्रीराम के जन्म, बाललीला, ताड़का वध, सीता स्वयंवर, वन गमन, रावण द्वारा सीता हरण, और अंततः लंका विजय एवं रावण वध तक की पूरी कथा का मनमोहक मंचन किया जाता है।
हर पात्र अपनी भूमिका में समर्पण के साथ प्रदर्शन करता है, जिससे दर्शक ऐसा महसूस करते हैं मानो वास्तव में त्रेता युग की कथा सजीव हो उठी हो। मंच सज्जा, संवादों की गूंज, पारंपरिक संगीत और झांकियों के माध्यम से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक है। यहां हर वर्ग, हर समुदाय के लोग मिलकर आयोजन को सफल बनाते हैं। इस दौरान क्षेत्र में मेले जैसा माहौल रहता है, जहां बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी श्रद्धा भाव से रामलीला का आनंद लेते हैं।
रामलीला कमेटी के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष कार्यक्रम को और भव्य रूप देने के लिए विशेष मंच सज्जा, प्रकाश व्यवस्था और पारंपरिक परिधानों की व्यवस्था की गई है। साथ ही, हर दृश्य के बीच धार्मिक भजनों और प्रवचनों का भी आयोजन किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालु रामकथा के भाव में डूब सकें।
अंतिम दिन राम राज्याभिषेक के साथ इस ऐतिहासिक रामलीला का समापन होगा। आयोजन समिति ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर भगवान श्रीराम की लीलाओं का दर्शन करें और धर्म, नीति व आदर्शों के संदेश को आत्मसात करें।
बसडीला बरी वनदुआरी की यह रामलीला न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि संस्कारों, संस्कृति और समरसता का प्रतीक है, जो समाज को एकता, प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।