गाजीपुर
कोरोना की वापसी से ग्रामीणों की बढ़ी चिंता

स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में भय का माहौल
बहरियाबाद (गाजीपुर)। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। गाजीपुर जनपद के बहरियाबाद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई गांवों में लोग अब भी पिछले साल की विभीषिका को नहीं भूल पाए हैं। आर्थिक संकट, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याओं ने ग्रामीणों के मन में गहरी चिंता और भय भर दिया है।
ग्रामीणों में घबराहट के कारण
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है। नजदीकी अस्पतालों की दूरी, डॉक्टरों की अनुपलब्धता और जांच सुविधाओं के अभाव ने हालात को और जटिल बना दिया है। गांवों में आज भी स्वास्थ्य जागरूकता की भारी कमी है। सोशल मीडिया और स्थानीय अफवाहों के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
इसके अलावा, अधिकांश ग्रामीणों की आजीविका दिहाड़ी मजदूरी और छोटे व्यवसायों पर निर्भर है। पिछली बार लगे लॉकडाउन से जैसे-तैसे उबर रहे लोग अब फिर से काम-धंधा बंद होने की आशंका से परेशान हैं। वहीं, कोरोना संक्रमित व्यक्ति के प्रति सामाजिक बहिष्कार की भावना भी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही है।
टीकाकरण अभियान की धीमी गति
कई गांवों में अभी तक टीकाकरण पूरी तरह नहीं हो पाया है। कई लोग टीके के फायदे और दुष्प्रभावों को लेकर भ्रमित हैं। टीकाकरण शिविरों की कमी और जानकारी के अभाव के कारण ग्रामीण खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
साफ-सफाई और पानी की व्यवस्था भी सवालों के घेरे में
कुछ गांवों में पीने के साफ पानी और स्वच्छता की बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है, जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा और बढ़ गया है। लोगों को यह डर सता रहा है कि यदि कोरोना फैलता है, तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।
सरकार और संस्थाओं से उम्मीदें
ग्रामीणों की घबराहट को देखते हुए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं को चाहिए कि वे गांव-गांव जाकर कोरोना से बचाव, लक्षण और टीकाकरण के प्रति जागरूकता अभियान चलाएं। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त करना, आवश्यक दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर और जांच किट मुहैया कराना समय की जरूरत है।
इसके साथ ही, टीकाकरण को सुगम बनाने के लिए स्थानीय विद्यालयों, पंचायत भवनों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विशेष शिविर लगाए जाएं। ग्राम पंचायतों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा बहनों और स्वयंसेवकों की मदद से लोगों को प्रेरित किया जाए।
भय नहीं, जागरूकता जरूरी
कोरोना से लड़ाई सिर्फ दवाइयों से नहीं, बल्कि सही जानकारी और सामूहिक सहयोग से जीती जा सकती है। ग्रामीणों को भय से मुक्त करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता, परामर्श और आपातकालीन योजनाएं बनाना बेहद जरूरी है।
ग्रामीणों की चिंता को समझें, समाधान स्थानीय हों
हर गांव की अपनी समस्याएं हैं। बहरियाबाद क्षेत्र के लोगों को भरोसे और सहयोग की ज़रूरत है। यह वक्त डर नहीं, बल्कि एकजुटता दिखाने का है। यदि सरकार, प्रशासन और ग्रामीण मिलकर कार्य करें, तो कोरोना के बढ़ते खतरे को भी पराजित किया जा सकता है।