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वाराणसी

कोटवा गांव में तनावपूर्ण शांति, पीएसी तैनात

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ग्रामीणों का न्याय मिलने तक होली न मनाने का ऐलान

वाराणसी । लोहता थाना क्षेत्र के कोटवा गांव में बीते 25 दिनों से तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। मजदूर भैया लाल पटेल की नृशंस हत्या के बाद से ही गांव में आक्रोश और असुरक्षा का माहौल व्याप्त है। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पीएसी की तैनाती कर दी है, लेकिन ग्रामीण अब भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

हत्या के बाद भी मामले में पूरी तरह कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे पीड़ित परिवार परेशान है। भैया लाल पटेल की पत्नी उषा देवी ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति की हत्या के मामले में नामजद आरोपियों में से केवल एक की गिरफ्तारी हुई है, जबकि बाकी खुलेआम घूम रहे हैं। वहीं, नेताओं ने मदद का आश्वासन तो दिया था, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं पहुंची।

उषा देवी की बेटी का कहना है कि परिवार की हालत बेहद खराब हो चुकी है। उसके अनुसार, उनके पिता ही घर के कमाने वाले थे और उनकी हत्या के बाद अब परिवार के पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि अब उन्हें दूसरों से मदद मांगकर गुजारा करना पड़ रहा है।

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पीड़ित परिवार के अलावा ग्रामीण भी पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट हैं। उषा देवी ने बताया कि उनके पति के अंतिम संस्कार के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से अंतिम संस्कार करवाया। अब पुलिस उन्हीं ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज कर रही है, जिससे लोग खुलकर मदद करने से डर रहे हैं।

इसी बीच, गांव में तीन दिन पूर्व एक और घटना ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया। हत्या मामले में मुख्य पैरवी कर रहे अभिलाष सिंह मोनू के घर पर देर रात अज्ञात लोगों ने पथराव कर दिया, जिससे गांव में भय का माहौल पैदा हो गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की जाए और पत्थरबाजों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि जब तक हत्या के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती और गांव को सुरक्षा नहीं मिलती, तब तक वे होली का त्योहार नहीं मनाएंगे।

ग्रामीणों की नाराजगी पुलिस अधिकारियों के रवैये को लेकर भी है। बुधवार की रात पुलिस के उच्चाधिकारी गांव पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों से बिना कोई संवाद किए चुपचाप सेल्फी लेकर चले गए। इससे लोगों में गहरा आक्रोश है। एक ग्रामीण ने कहा कि यदि अधिकारी उनकी बात ही नहीं सुनेंगे, तो वे न्याय की गुहार किससे लगाएंगे।

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गांव के लोगों ने प्रशासन से निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और गांव में फिर से शांति बहाल हो।

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