वाराणसी
काशी में रोप-वे के लिए प्रदेश सरकार और नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट कमेटी में करार
वाराणसी।अति महत्वाकांक्षी रोप-वे प्रोजेक्ट को लेकर वाराणसी में विरोध भले हो रहा हो पर शासन स्तर पर इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द लागू करने के लिए कार्रवाई तेज हो गई है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश शासन और नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक कंपनी के बीच करार हो गया है। ये कंपनी प्रोजेक्ट के विकास क्रियान्वयन निर्माण और संचालन तथा रखरखाव का काम देखेगी।
केंद्र सरकार ने सौंपी है नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक कंपनी को जिम्मेदारी
दरअसल जिस नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक कंपनी के साथ वाराणसी के रोप-वे को लेकर करार हुआ है उस कंपनी को ये जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने सौंपी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण और नेशन हाइवे लॉजिस्टिक कंपनी की ओर से चेयरमैन अल्का उपाध्याय ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया। यहां ये भी बता दें कि पिछले दिनों राजमार्ग मंत्रालय की वित्तीय रजामंदी के बाद भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण की चेयरमैन अल्का उपाध्याय ने लखनऊ में प्रमुख सचिव आवास संग लंबी बैठक की थी उसके बाद ही परियोजना को हरी झंडी दी गई।
नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक कंपनी रोप-वे प्रोजेक्ट के विस्तारीकरण की संभावा भी तलाशेगी
बताया जा रहा है कि नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक कंपनी बनारस में रोप-वे प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के साथ ही विस्तार की संभावना भी तलाशेगी। यहां ये भी बता दें कि हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के तहत 412 करोड़ की लागत से रोप-वे का निर्माण होना है। इसके तहत पांच स्टेशन बनाए जाने हैं जिसमें कैंट काशी विद्यापीठ रथयात्रा, गिरिजाघर चौराहा और गोदौलिया चौराहा।
विद्यापीठ में स्टेशन बनाने का हो रहा विरोध
बता दें कि इस रोप-वे का दूसरा स्टेशन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बनना है जिसका विरोध विद्यापीठ प्रशासन ने किया है। इसके तरह शासन को पत्र भी भेजा है और कुलपति ने राज्यपाल से मिल कर हस्तक्षेप की मांग भी की है। दरअसल विद्यापीठ प्रशासन की आपत्ति के पीछे सबसे बड़ा कारण कई विभाग और संकाय तो इस स्टेशन निर्माण से प्रभावित होंगे ही साथ ही अखंड भारत के नक्शे वाला देश का एक मात्र भारत माता मंदिर के भी प्रभावित होने की आशंका है जिसे लेकर विद्यापीठ प्रशासन ज्यादा चिंतित है क्योंकि भारत माता का मंदिर राष्ट्रीय धरोहर भी है।