गाजीपुर
कर्मनाशा पैकेज की अधूरी सड़क से ग्रामीण बेहाल
गाजीपुर। जिले में कर्मनाशा पैकेज के तहत घरोहिया, रामनारायणपुर, देवढी ,दाऊदपुर, धुस्का और रायपुर होते हुए गायघाट से चंदौली जिले के ओयरचक गांव तक बनी सड़क का काम लंबे समय से अधूरा पड़ा है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सड़क की बदहाली के कारण इस क्षेत्र का आवागमन पत्थर के खरखराहट से प्रभावित हो जाता है।
सड़क का निर्माण कार्य रुके होने से पूरी सड़क पर पत्थर उबड़- खाबर हो चुकी है। लोगों के बताने के अनुसार कुछ जगह पर आज तक पत्थर भी नहीं डाला गया है जहां बारिश के दिनों में कीचड़ और जलभराव के कारण यह रास्ता पूरी तरह से अनुपयोगी हो जाता है l
यह सड़क गाजीपुर जिला के घरोहिया, देवढी , व चंदौली जिले के ओयरचक ककरैट होते हुए बिहार राज्य से सम्पर्क जोड़ता है। दाऊदपुर में भगवान शाह, वीरेन्द्र शाह तथा हरेंद्र सिंह के साथ हॉस्पिटल के बीच में ज्यादा खराब और गायघाट हरिनाथ यादव, गोपाल यादव , रामु यादव व मुसहर बस्ती के पास अत्यधिक सड़क खराब होने के कारण स्थानीय निवासियों, खासकर किसानों, स्कूली बच्चों और व्यापारियों को दैनिक आवागमन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

खराब सड़क के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, बारिश में जलभराव से रास्ता और धसने की आशंका बनी रहती है, और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाओं को भी मौके पर पहुँचने में देरी होती है।
वहीं दाऊदपुर निवासी अजीत सिंह और राकेश गुप्ता तथा गायघाट निवासी त्रिभुवन कुशवाहा (पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि) के बताने के अनुसार ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय प्रशासन को अधूरे पड़े निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की माँग की है।
उनका कहना है कि यह सड़क इस पूरे क्षेत्र के लिए एक जीवन रेखा के समान है और इसका अधूरा रहना उनकी मूलभूत सुविधाओं का हनन है। साथ में जानकारी ये भी मिल की इस रास्ते पर दो बार मरम्मत कार्य भी आया परंतु पैसो से कार्य शुरू होने से पूर्व ही समाप्त हो गया साथ ही उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि कर्मनाशा पैकेज के तहत स्वीकृत इस महत्वपूर्ण परियोजना को शीघ्र प्राथमिकता देकर पूरा किया जाए।
इस संबंध में जिम्मेदार विभागों की ओर से कोई स्पष्ट आश्वासन या समय सीमा सामने नहीं आई है, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इस अंतर-जिला कनेक्टिविटी वाली सड़क का अधूरा रहना सरकारी उदासीनता का प्रतीक बन गया है।
