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गोरखपुर

कर्ज और सामाजिक दबाव में टूटा सागर, फांसी लगाकर दी जान, गांव में मातम

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गोरखपुर। खजनी थाना क्षेत्र के रामपुर मलौली गांव में शनिवार की देर रात एक दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। 28 वर्षीय सागर श्रीवास्तव उर्फ गोलू, पुत्र स्वर्गीय शंभूलाल, ने अपने कमरे में फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया। बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से कर्ज और मानसिक तनाव से जूझ रहा था। इस घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

सागर ने कुछ समय पहले इंटर-कास्ट विवाह किया था और बसंतपुर, गोरखपुर स्थित ससुराल में रह रहा था। विवाह के बाद से ही उसे पारिवारिक और सामाजिक विरोध का सामना करना पड़ रहा था। आर्थिक तंगी ने उसकी परेशानियों को और गहरा कर दिया। हाल ही में वह अपने पैतृक गांव लौटा, लेकिन परेशानियों से हारकर उसने यह कदम उठा लिया।

घटना की सूचना मिलते ही महुआडाबर चौकी प्रभारी अभिषेक सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी। शुरुआती जांच में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस अब परिजनों और रिश्तेदारों से पूछताछ कर आत्महत्या के कारणों की गहराई से पड़ताल कर रही है।

गांववालों के अनुसार सागर मिलनसार और शांत स्वभाव का था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह गहरे अवसाद में चला गया था। भारी कर्ज और किस्तें न चुका पाने की मजबूरी उसके लिए बड़ा बोझ बन गई थी। इंटर-कास्ट विवाह के बाद हुए सामाजिक बहिष्कार और पारिवारिक तनाव ने उसकी परेशानियों को और बढ़ा दिया। इन तमाम दबावों के बीच उसने जिंदगी से हार मान ली।

परिवार और गांववाले इस हादसे से गहरे सदमे में हैं। परिजनों ने बताया कि सागर मेहनती और जिम्मेदार था, लेकिन हालात ने उसे तोड़ दिया। अपने पीछे वह पत्नी और एक मासूम बेटे को छोड़ गया है। ग्रामीणों ने कहा कि यह घटना समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है और ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए प्रशासन और समाज को मिलकर प्रयास करना चाहिए।यह घटना मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक सहायता की गंभीर आवश्यकता की ओर इशारा करती है।

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विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि समय पर काउंसलिंग और आर्थिक मदद मिल जाए, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। गांववालों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और जरूरतमंद परिवारों के लिए सहायता की ठोस व्यवस्था की जाए।सागर की मौत सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि हमें समय रहते एक-दूसरे का सहारा बनना होगा।

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