वाराणसी
कफ सिरप केस: शुभम ने दो साल में जमा कराया सात करोड़ आयकर, ईडी को मिली रिपोर्ट
वाराणसी। कोडीन युक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री से जुड़े अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना और 25 हजार के इनामी शुभम जायसवाल ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में करीब सात करोड़ रुपये आयकर जमा किया है। आयकर विभाग ने इसकी रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दी है। वहीं जीएसटी अलग से जमा कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है।
ईडी के अनुसार, रांची की शैली ट्रेडर्स और वाराणसी की न्यू वृद्धि फार्मा के प्रोपराइटर शुभम जायसवाल ने दो फर्मों के जरिये वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 2.50 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2024-25 में करीब 4.50 करोड़ रुपये आयकर जमा कराया। इससे जुड़े दस्तावेज ईडी को मिल गए हैं।
जांच में सामने आया है कि वाराणसी के चार्टर्ड अकाउंटेंट विष्णु अग्रवाल ने कुल 140 फर्मों का ऑडिट किया है। इनमें दो फर्म शुभम जायसवाल की हैं, जबकि शेष फर्म वाराणसी के अलग-अलग उद्योगपतियों, डॉक्टरों सहित अन्य लोगों की हैं।
ईडी की जांच में कफ सिरप गिरोह के सरगना शुभम जायसवाल, शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर उसके पिता भोला जायसवाल और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर कई महंगी संपत्तियां मिली हैं। मिर्जापुर, बाबतपुर एयरपोर्ट रोड, महमूरगंज और गंजारी स्टेडियम के पास प्रॉपर्टी खरीदे जाने के साक्ष्य मिले हैं। रिश्तेदारों की फर्मों और बैंक खातों की भी गहन जांच की जा रही है।
मामले में खोजवा स्थित डीएसए फार्मा के प्रोपराइटर दिवेश जायसवाल, औसानगंज निवासी मनोज यादव और उसके बेटे लक्ष्य यादव की फर्म मेसर्स सिंडिकेट, सोनिया रोड निवासी अमित जायसवाल, खोजवा के अंकुश सिंह, घनश्याम मौर्य तथा रोहनिया के भदवर काशीपुरा के प्रधान प्रतिनिधि महेश सिंह की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। महेश सिंह पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित है।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि शुभम जायसवाल को कफ सिरप की बड़े पैमाने पर खरीद-बिक्री का ज्ञान ड्रग विभाग के एक पूर्व सहायक आयुक्त ने दिया था। ईडी ने उक्त पूर्व अधिकारी की संपत्ति की जांच भी शुरू कर दी है, जबकि एसटीएफ ने उसे रडार पर ले लिया है। बताया जा रहा है कि बस्ती में तैनात रहा यह अधिकारी फिलहाल भूमिगत है। शुभम को रांची में शैली ट्रेडर्स फर्म का पंजीयन कराने की जानकारी भी इसी पूर्व सहायक आयुक्त ने दी थी।
इसके अलावा सप्तसागर दवा मंडी समिति के एक पदाधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। जांच में सामने आया है कि पूर्व सहायक आयुक्त और उक्त पदाधिकारी के गठजोड़ से कफ सिरप की खरीद-बिक्री पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक पहुंची। मामले में जांच और कार्रवाई लगातार जारी है।
